(Cultivation of Turnip)शलजम की खेती
(Cultivation of Turnip) शलजम एकल जड़ वाली एक सलाद है, जिसे हम सब्जी भी कह सकते हैं। इसे सब्जी या सलाद के रूप में खाने के लिए प्रयोग करते है। मैदानी भागो में शलजम की फसल ठंड के मौसम में रेडी हो जाते हैं। शलजम बिटामिन ओए खनिज का अच्छा स्रोत माना गया है। इसमें कई तरह के एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और मिनरल अच्छी मात्रा में मौजुद होता है। शलजम में पाया जाने वाला विटामिन- सी शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबुति प्रदान करता है। यह एक कांड मूल वाली फ़सल है, जिस कारण से इसकी खेती करने के लिए भूमि का चुनाव अच्छे से किया जाए।
(Cultivation of Turnip) एक फायदा ये भी, शलजम की फसल जड़ और पत्तो को प्राप्त करने के लिए की जाती है | इसकी जड़ो में विटामिन C और पत्तो में फोलिएट, कैल्शियम, विटामिन ए, विटामिन के, और विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है | किन्तु इसके पत्ते स्वाद में तीखे होते है, जिस वजह से इसे बॉयल्ड खाना चाहिए | यह पशुओ के लिए चारे के रूप में एक उत्तम और पौष्टिक आहार भी है | भारत में शलजम की खेती लगभग हरेक क्षेत्रों में की जाती है | इस कंटेंट में आपको शलजम की खेती कैसे करे (Turnip Farming in Hindi) और शलगम के फायदे के बारे में बताने जा रहे है।
(Cultivation of Turnip)शलजम की खेती में भूमि का चयन (Turnip Cultivation Land Selection)
शलजम की खेती में बलुई दोमट या रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है | कड़क और चिकनी मिट्टी में शलजम की फसल बिल्कुल न करे, क्योकि इसके फलो की जड़े भूमि के भीतर होती है, इसलिए हलकी और नर्म भूमि की जरूरत होती है | इसकी खेती में ठंडी जलवायु की जरूरत होती है, तथा 21 से 26 डिग्री तापमान होना चाहिए |
(Cultivation of Turnip) शलजम खाने के फायदे (Turnips Eating Benefits)
(Cultivation of Turnip) शलजम स्वाद में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ के लिए लाभदायक भी है | किन्तु, शलजम से किसी बीमारी का उपचार नहीं किया जा सकता है, यह सिर्फ रोग से बचाव और लक्षण को कम करने में कुछ हद तक कारगार है।
(Cultivation of Turnip) शलजम से होने वाले कुछ लाभ इस प्रकार है:-
- इम्यून सिस्टम को मजबूत करे
- हृदय स्वास्थ्य में सहायक
- कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक
- ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में
- वजन घटाने में लाभकारी
- आंखों के स्वास्थ्य में लाभदायक
- हड्डियों के विकास करने में
- फेफड़ों को स्वास्थ्य बनाये रखने में
- आंतों के स्वास्थ के लिए
- लिवर और किडनी में लाभकारी
- मधुमेह बढ़ने से रोके
- एनीमिया की समस्या मददगार
- ऑस्टियोपोरोसिस को कम करने में
- याददाश्त को बेहतर बनाये
- गर्भावस्था के दौरान फायदेमंद
- एंटीमाइक्रोबियल गुण से भरपूर
- त्वचा को निखारने के लिए
- बालों को मजबूती प्रदान करे
- शलजम के नुकसान (Damage of Turnips)
- सामान्य तौर पर शलजम का सेवन स्वास्थ के लिए लाभकारी है।
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(Cultivation of Turnip) शलजम का उपयोग अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ दुषप्रभाव भी देखने को मिल सकते है, जो इस प्रकार है:-
- (Cultivation of Turnip) शलजम के पत्तो में फास्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिस वजह से इसका ज्यादा मात्रा में सेवन हृदय, किडनी और हड्डियों को प्रभावित कर सकता है |
- इसके पत्तो में पोटेशियम भी ज्यादा मात्रा में होता है, जो ब्लड में पोटेशियम की मात्रा को अधिक कर सकता है, जिससे हाइपरकलेमिया की शिकायत हो सकती है, और हृदय की गति में भी असामनता हो सकती है, तथा किडनी फंक्शन भी प्रभावित हो सकते है |
- (Cultivation of Turnip) इसमें फाइबर भी अधिक मात्रा में होता है, जो पेट में फूलन, गैस और ऐठन जैसी समस्या पैदा कर सकता है |
- शलजम के खेत की तैयारी (Turnip Field Preparation)
- शलजम की खेती में भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है, इसके लिए सबसे पहले 4 -5 बार खेत की गहरी जुताई कर दे| इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से ख़त्म हो जाते है | जोते हुए खेत की मिट्टी में धूप लगने के लिए खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही आसमान में खुला छोड़ दे | इसके बाद खेत में 255 से 310 क्विंटल पुरानी सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट की मात्रा को दे | इसके बाद अच्छी तरह से जुताई कर मिट्टी में खाद को अच्छी तरह से मिला देते है |
- (Cultivation of Turnip) खाद मिली मिट्टी में पानी लगाकर पलेव कर देते है,पलेव के बाद मिट्टी के सूख जाने पर रोटावेटर लगाकर जुताई कर मिट्टी को भुरभुर और हल्की कर दे | इसके बाद पाटा लगाकर खेत को बराबर कर देते है | इसके अलावा रासायनिक उवर्रक में 51 KG फास्फोरस, 102 KG नाइट्रोजन और 53 KG पोटाश की मात्रा को खेत में आखरी जुताई के समय दे |
(Cultivation of Turnip)शलजम की उन्नत किस्में (Turnips Improved Varieties)
- लाल 4 व सफेद 4 :- शलजम की इन दोनों ही क़िस्मों को तैयार होने में 62 से 72 दिन का समय लग जाता है| इसमें निकलने वाली जड़ो का आकार बराबर और गोल होता है | इस किस्म को वसन्तऋतु और शरदऋतु में उगाया जाता है |
- सफेद 4 :- इस क़िस्म को वर्षाऋतु के मौसम में लगाते है | इस क़िस्म को 52 से 54 दिनों में तोड़ लिया जाता है | इसकी उपज 210 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है |
- परपल टोप :- इस क़िस्म में निकलने वाली जड़े आकार में मोती होती है, जिसका ऊपरी आवरण हरा और गुदा ग्रे होता है | इसे तैयार होने में 65 से 70 दिन का समय लग जाता है, जिसका उत्पादन 155 से 185 क्विंटल तक होता है |
- पूसा-स्वर्णिमा :- इस क़िस्म की शलजम को पकने में 68 से 70 दिन का समय लग जाता है | इसकी जड़े मध्यम आकार वाली गोल और हल्का नीला रंग लिए हुए चिकनी होती है |
- पूसा-चन्द्रिमा :- यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 205 से 256 क्विंटल का उत्पादन दे देती है, जिसे तैयार होने में 56 से 60 दिन लग जाते है| इसमें निकलने वाली जड़ गोल आकार की होती है |
- पूसा-कंचन :– इस क़िस्म को रेड एसीयाटिक किस्म तथा गोल्डन-वाल के माध्यम से रेडी किया गया है | इसमें शलजम का ऊपरी भाग लाल और गुदा नील रंग का होता है |
- पूसा-स्वेती :– यह एक अगेती क़िस्म है, जिसकी बुवाई सितम्बर से अक्टूबर माह के मध्य की जाती है | इसकी जड़े 42 से 45 दिन पश्चात् खाने के लिए तैयार हो जाती है, जो चमकदार व् सफ़ेद होती है |
- स्नोवाल :– इस क़िस्म की शलजम का आकार सामान्य और फल चिकना, सफ़ेद गोलाकार होता है, तथा गुदा नरम व् मीठा होता है | इसकी जड़े 53 से 55 दिन पश्चात् खुदाई के लिए तैयार हो जाती है |
(Cultivation of Turnip) शलजम के बीजो की रोपाई (Turnip Seeds Planting)
(Cultivation of Turnip)शलजम के बीजो की रोपाई के लिए सितंबर से अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा होता है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में पौधों को अगस्तसे अक्टूबर के महीने में भी लगा सकते है | बीजो की रोपाई खेत में तैयार लाइन में की जाती है, जिसमे प्रत्येक पंक्ति के मध्य 35 से 40 CM की दूरी होती है, तथा हर बीज को 15 से 20 CM की दूरी पर 3 से 4 CM की गहराई में लगाया जाता है | एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 4-5 KG बीज लग जाते है, इन बीजो की प्रति किलोग्राम की मात्रा को बुवाई से पूर्व 4 GM बाविस्टिन या कैप्टान के घोल से उपचारित कर लेते है |
(Cultivation of Turnip)शलजम की फसल में सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण (Turnip Crop Irrigation and Weed Control)
(Cultivation of Turnip)शलजम के पौधों की पहली सिंचाई बीज बुवाई के 9 से 10 दिन पश्चात् की जाती है, तथा जरूरत पड़ने पर बाद पौधों को 12 से 15 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए |
(Cultivation of Turnip)इसकी फसल में खरपतवार पर भी विशेष ध्यान देना होता है | इसके लिए पौधों की निराई – गुड़ाई की जाती है | शलजम की फसल 3 से 4 गुड़ाई में तैयार हो जाती है | निराई- गुड़ाई के अलावा पेंडीमेथलिन 4 लीटर की मात्रा को 900 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर बीज रोपाई के 3 दिन पश्चात प्रति हेक्टेयर के खेत में छिड़काव करे |
(Cultivation of Turnip)शलजम की फसल में कीट व रोग की रोकथाम (Turnip Crop Pest and Disease Prevention)
रोग से बचाव के लिए:- (Cultivation of Turnip)शलजम की फसल में अंगमारी, पीला रोग जैसे फफूंद रोग लग जाते है, जिससे बचाव के लिए खेत में रोगरोधी क़िस्मों को ही उपजाए, तथा बीजो को उपचारित जरूर करे | इसके साथ ही रोगी पौधों को जड़ से उखाड़ फेक दे, तथा प्रति हेक्टेयर के खेत में M 46 या Z 79 की 0.3 प्रतिशत की मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करे |
कीट से बचाव के लिए:- (Cultivation of Turnip) शलजम की फसल पर कीट रोग मुंगी, माहू, सुंडी, बालदार कीड़ा और मक्खी के रूप में आक्रमण करते है | इस कीट रोग के आक्रमण को रोकने के लिए 80-900 लीटर पानी में 2 लीटर मैलाथियान को डालकर उसका छिड़काव खेत में करे | इसके अलावा 1.6 लीटर एंडोसल्फान की मात्रा को उतने ही पानी मिलाकर उसका छिड़काव प्रति हेक्टेयर के खेत में करे |
(Cultivation of Turnip)शलजम की पैदावार और कमाई (Turnip Production and Earnings)
(Cultivation of Turnip)शलजम के फसल की खुदाई समय – समय पर जरूरत के अनुसार की जाती है | आप बीज बुवाई के 30-40 दिन बाद पत्तियों की तुड़ाई कर सकते है, तथा जड़ो को निकालने के लिए ठीक तरह से पकने का प्रतीक्षा करे, ताकि जड़ो का स्वाद न हटें | इसकी जड़े क़िस्म के अनुसार 52 से 75 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है | जड़ो को भूमि से निकालने के लिए खुरपी या फावड़े का इस्तेमाल करे |
(Cultivation of Turnip)खुदाई के बाद उन्हें ठीक तरह से धोकर साफ कर एकत्रित कर ले | एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन शलजम की 300 से 350 क्विंटल उपज मिल जाती है | किसान भाई शलजम की एक बार की फसल से बहुत अच्छे कमाई कर सकते है |
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