kundaru ki kheti कुंदरू की खेती, नया तरीका, आधुनिक विधि, 1,0000,000 में कमाई, लाभ & हानि

कुंदरू की खेती, New तरीका, आधुनिक विधि, 1,0000,000 में कमाई, लाभ & हानि

(kundaru ki kheti) कुंदरू की खेती (Ivy Gourd Farming) से सम्बंधित जानकारी

(kundaru ki kheti) भारतीय समाज में कुंदरू की खेती लतादार बहुवर्षीय सब्जी के रूप में होती आ रही है | इसकी बेल 4 से 5 मीटर लम्बी होती है, जिसे फैलने के लिए सहारे की जरूरत होती है | इसका पौधा 5 से 6 वर्ष तक पैदावार दे देता है | किन्तु जिन स्थानों पर अधिक ठण्ड होती है, वहां कुंदरू की सिर्फ 8 से 9 माह तक फसल प्राप्त हो पाती है | इसमें फ्लेवोनोइड्स, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल, कैल्सियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए और सी की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है |

लोग इसी वजह से कुंदरू का सेवन करना लाभकारी समझते है | भारत में कुंदरू की खेती पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखण्ड बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्य में की जाती है | देश के कुछ राज्यों में किसान भाई कुंदरू की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कर व्यापारिक तौर पर अधिक उत्पादन प्राप्त कर ज्यादा मुनाफा भी कमा रहे है। आज हम आपको कुंदरू की खेती के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है, खेती को कैसे करे की जयादा से ज्यादा लाभ कमा सके।

(kundaru ki kheti) ऐसे करे कुंदरू की खेती (Ivy Gourd Farming in Hindi)

(kundaru ki kheti)कुंदरू की खेती के लिए किसी विशेष प्रकार की भूमि की जरुरत नहीं होती है | किन्तु कार्बनिक पदार्थो के कारन बलुई दोमट मिट्टी में उत्पादन अच्छा मिल जाता है| भारी मिट्टी और जल भराव वाली भूमि में कुंदरू की खेती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए | क्योकि पौधे की लताएं जल भराव को बर्दास्त नहीं कर पाती है | इसकी खेती में भूमि लगभग 8 P.H. मान वाली होनी चाहिए |

कुंदरू की खेती, नया तरीका, आधुनिक विधि, 1,0000,000 में कमाई, लाभ & हानि
कुंदरू की खेती

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(kundaru ki kheti)कुंदरू की खेती में उपयुक्त जलवायु व तापमान (Kundru Cultivation Suitable Climate and Temperature)

(kundaru ki kheti)इसके पौधों को गर्म एवं आद्र जलवायु की आवस्यकता होती है | भारत के उत्तरी इलाको में जहा ठण्ड अधिक होती है, वहां पैदावार नगण्य प्राप्त होती है | बारिश के मौसम में इन्हे केवल 101 से 155 CM वर्षा की जरूरत होती है | किन्तु आधुनिक तकनीक के चलते सिंचित क्षेत्रों में इसकी खेती सरलता से नहीं कर सकते है | 31 से 35 डिग्री तापमान पर कुंदरू की अच्छी फसल मिल जाती है |

(kundaru ki kheti)कुंदरू खाने के लाभ (Kundru Benefits)

(kundaru ki kheti)कुंदरू में कई तरह के पोषक तत्व मिलते है | अन्य सब्जियों की तुलना में कुंदरू विटामिन और मिनरल का काफी अच्छा स्त्रोत है | कुंदरू की 102 GM की मात्रा में आपको विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन) 0/08 मिलीग्राम, 1.7 ग्राम-फाइबर, 1.5 मिलीग्राम आयरन, 42 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.08 मिलीग्राम विटामिन-बी 1.3 (थियामिन) मिल जाता है | यदि आपको मोटापा, दिल की बीमारी, ब्लड शुगर और पेट से जुड़ी समस्याए है, तो आप कुंदरू का सेवन अवश्य करे | इसके अलावा इसे कैंसर, किडनी स्टोन, नर्वस सिस्टम, डिप्रेशन, थकान, मधुमेह, पाचन दुरुस्त और वजन घटाने जैसी समस्याओ को दूर करने में लाभकारी माना गया है | कुंदरू हमारे शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है |

(kundaru ki kheti)कुंदरू खाने के नुकसान (Kundru Dis advantages)

(kundaru ki kheti)यदि कोई व्यक्ति सर्जरी करवाने वाला हैं, तो उसे तीन सप्ताह पहले से ही कुंदरू का सेवन बंद कर देना होता है, क्योकि कुंदरू रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य नहीं रहने देता है | वह महिलाएं जो गर्भवती है या अपने बच्चे को स्तनपान कराती है, उन्हें कुंदरू के सेवन बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए | कुंदरू का निरंतर सेवन करने से रक्त शर्करा बहुत कम हो जाती है | इसके अलावा कुछ लोगो को उल्टी व् मतली जैसी समस्या का सामना भी हो सकती है |

(kundaru ki kheti)कुंदरू का बीज(Kundru Improved Seeds)

 

इंदिरा कुंदरू 5:- (kundaru ki kheti)इस किस्म की कुंदरू में फलो का आकार अंडाकार और बैंगनी होता है | यह अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है, जिसके एक पौधे से 22 KG से अधिक का उत्पादन प्राप्त हो जाता है, तथा प्रति हेक्टेयर के खेत से 405 से 425 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है |

इंदिरा कुंदरू 35:- (kundaru ki kheti)कुंदरू की इस किस्म में फलो का आकार 7CM लम्बा और 2.45 CM व्यास वाला होता है| इस किस्म के एक पौधे से 23 KG की पैदावार प्राप्त हो जाती है| यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 415 से 450 क्विंटल का उत्पादन दे देती है |

सुलभा (सी जी- 23):– (kundaru ki kheti)यह क़िस्म 46 से 50 दिन पश्चात् पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है | जिसमे निकलने वाली कुंदरू 10CM लम्बी और गहरी हरी होती है | इसके एक पौधे से 22 से 22 KG की कुंदरू प्राप्त हो जाती है | जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 410 से 425 क्विंटल तक होता है |

काशी भरपूर (VRSIG – 9):- (kundaru ki kheti)इस क़िस्म के पौधों को तैयार होने में 46 से 50 दिन लग जाते है | जिस पर आने वाले फल सफ़ेद धारिया लिए हुए हल्के हरे और अंडाकार होते है | इसके एक पौधे से 22 से 25 KG कुंदरू प्राप्त हो जाती है, तथा प्रति हेक्टेयर के खेत से 355 से 400 क्विंटल का उत्पादन मिल जाता है |

(kundaru ki kheti)कुंदरू के खेत की तैयारी व उवर्रक (Kundru Farm Preparation and Fertilizers)

(kundaru ki kheti)कुंदरू के पौधे एक बार लग जाने के बाद 5 से 6 वर्ष तक पैदावार दे देते है | इसलिए इसकी फसल उगाने से पहले खेत को अच्छी तरह से सख्त कर ले | इसके लिए सबसे पहले खेत की सफाई कर उसकी गहरी जुताई कर दी जाती है, और खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेषों को निकाल दिया जाता है | इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही सूर्य की धूप लगने के लिए छोड़ दे | इसके बाद खेत में पानी लगाकर रहने दे | जब खेत का पानी सूख जाता है, तो खेत की 3 से 4 तिरछी जुताई कर दी जाती है |

(kundaru ki kheti)इससे खेत की मिट्ट हल्की हो जाती है | भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को समतल कर उसमे पौध रोपाई के लिए गड्डो को रेडी कर लिया जाता है | इन गड्डो को डेढ़ मीटर की दूरी पर पंक्तियों में तैयार किया जाता है | यह सभी गड्डे 32 CM लम्बे, गहरे और चौड़े होने चाहिए | इन गड्डो में 5 से 6 KG गोबर की खाद भर दे | कुंदरू की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए 41 से 62 KG फास्फोरस, 65 से 80 KG नाइट्रोजन, 45 KG पोटाश की मात्रा को ठीक से मिलाकर प्रति हेक्टेयर के खेत में देना होता है |

(kundaru ki kheti)कुंदरू की उन्नत किस्में

(kundaru ki kheti)कुंदरू के बीजो की रोपाई बीजो से कलम को तैयार कर की जाती है | इसके लिए 5 से 12 माह पुरानी लताओं से 16-20 CM लम्बी, 1.6 CM मोटी 6 से 7 गांठो से कलमों को काटकर अलग कर ले | इन कलमों को गोबर और मिट्टी के मिश्रण से भरे हुए पॉलीथीन के थैलो में लगाकर उनकी सिंचाई कर इसकी ध्यान रखी जाती है | जिसके 55 से 60 दिन पश्चात् कलम में जड़े निकलना आरम्भ कर देती है | इन जड़ो को निकालकर खेत में तैयार गड्डो में उनकी बुवाई कर दी जाती है | इस दौरान 15 मादा पौधों के मध्य 1 नर पौधा लगाना उपयुक्त होता है | पौध रोपाई के लिए अगस्त से अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है |

कुंदरू की खेती, नया तरीका, आधुनिक विधि, 1,0000,000 में कमाई, लाभ & हानि
कुंदरू की खेती

(kundaru ki kheti)कुंदरू फसल सिंचाई प्रबंधन (Kundru Crop Irrigation Management)

कुंदरू की फसल में पौधों को गर्मियों के मौसम में 4 से 6 दिन के अंतराल में पानी देना होता है | इसके अलावा फल बनने के समय खेत में नमी बनाये रखे, तथा बारिश के मौसम में उचित जल निकासी का जरुरी ध्यान रखे | क्योकि पानी भरा रहने की स्थिति में पौधे पीले पड़कर नष्ट जाते है |

(kundaru ki kheti)कुंदरू की फसल में रोग एवं रोकथाम (Kundru Crop Disease and Prevention)

(kundaru ki kheti)कुंदरू की फसल में कई तरह के कीड़े – मकोड़े वाले रोग देखने को मिल जाते है | इसमें फल मक्खी रोग जिसमे रोग का कीट फलो पर अपने अंडे दे देता है, जिससे फल सड़कर नष्ट हो जाता है | इसके अलावा धूसर रंग का गुबरैला, फलो भ्रंग रोग पौधों की पत्तियों में छेद कर उन्हें छति पहुंचाता है |

(kundaru ki kheti)कुंदरी की खेती में चूर्ण फफूंदी रोग भी है, जो तनो और पत्तियों पर फफूंद के रूप में अटैक करता है, जिससे पत्तिया पीली होकर मुरझाने लगती है | इस प्रकार के सभी रोगो से सेफ्टी के लिए पौधों पर गौमूत्र या नीम का के काढ़े के साथ माइक्रो झाइम का घोल बनाकर उसका छिड़काव करना चाहिए, जिससे ऑर्गेनिक खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते है |

मृदु चूर्णिल आसिता रोग:- इस क़िस्म का रोग कुंदरू के पौधों पर बदलते मौसम की वजह से नजर को मिलता है | इस रोग से प्रभावित पुरानी पत्तियों की निचली सतह पर सफ़ेद रंग के चौड़े धब्बे दिखाई देने लगते है, जिसका समय के साथ आकार और संख्या भी बढ़ जाती है | इस रोग से बचाव के लिए पौधों पर 0.2 प्रतिशत बाविस्टीन की मात्रा का मिश्रण तैयार कर उसका छिड़काव करे |

कुंदरू की खेती, नया तरीका, आधुनिक विधि, 1,0000,000 में कमाई, लाभ & हानि
कुंदरू की खेती

(kundaru ki kheti)कुंदरू के फलो की तुड़ाई, पैदावार और लाभ (Kundru Fruit Harvesting, Yield and Benefits)

(kundaru ki kheti)कुंदरू की फसल 46 से 51 दिन पश्चात पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है | इसके फल 4 से 6 दिन के अंतराल में कई बार तोड़े जा सकते है | कुंदरू की पैदावार उन्नत क़िस्म, खाद, उवर्रक और फसल की देखभाल के अनुसार प्राप्त होती है | इसके खेत से किसान भाइयो को तक़रीबन 305 से 450 क्विंटल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्राप्त हो जाता है | कुंदरू का बाज़ारी भाव भी काफी अच्छा होता है, जिस हिसाब से किसान भाई कुंदरू का उत्पादन कर लाखों और करोड़ो रूपये कमा सकते है।

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