शीशम की खेती की जानकरी:
शीशम (Sheesham) वृक्ष का वैज्ञानिक नाम ‘Dalbergia sissoo’ है और इसे हिन्दी में ‘शीशम’ या ‘सिस्सू’ कहा जाता है। यह एक प्रमुख वृक्ष है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है और इसे विभिन्न उपयोगों के लिए कारगर बनाते हैं, जैसे कि लकड़ी, लकड़ी की चीजें, और औषधियां।
अच्छे गुणवत्ता वाले शीशम के बीजों का चयन करें। बीजों को दुकान से नहीं खरीदा जा सकता है, बल्कि आपको किसान बाजार या किसान साथी से मिल सकते हैं।
बूटिंग का समय सही होना चाहिए। शीशम की बूटिंग वर्ष के शुरुआत में किया जाता है, जिससे पौधों को पूरा वर्ष विकास होने का अवसर मिलता है।
उच्च गुणवत्ता वाली और अच्छी ड्रेनेज प्रणाली वाली भूमि शीशम की खेती के लिए उपयुक्त है। इस वृक्ष को अधिकतम सूखा सहने की क्षमता होती है, लेकिन यह भी पानी को अच्छे से बहार निकाल सकता है। पौधों को उपयुक्त दूरी और खासी जानकारी के साथ एक दूसरे से प्रसारित करें। यह सुनिश्चित करेगा कि पौधे सही तरीके से बूटिंग होते हैं और विकास के लिए सही स्थान पर प्रस्तुत होते हैं।
शीशम के पौधों को उच्च स्तर की देखभाल की आवश्यकता होती है। यह मेंढ़ाओं, पशुओं, और अन्य कीटाणुरोधकों से बचाव शामिल है।
शीशम की खेती का सही समय बूटिंग सीज़न में होता है, ताकि पौधे अच्छे से विकसित हो सकें और उत्पादकता में वृद्धि हो।
वृक्षों को उच्च उत्पादकता के लिए सही तरीके से प्रुन करें, पेड़ों की सुरक्षा के लिए उच्च सुरक्षा कार्यक्षेत्र स्थापित करें, और उच्च उपायों का अनुसरण करें।
शीशम की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए सही तकनीकों का पालन करना महत्वपूर्ण है। आप स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह प्राप्त कर सकते हैं ताकि आपको स्थानीय परिस्थितियों का सही समर्थन मिल सके।
शीशम की खेती में सहायक मिट्टी व जलवायु:
शीशम की खेती में सहायक मिट्टी (Soil) और जलवायु (Climate) का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये पारिस्थितिक तत्व शीशम के पौधों के सही विकास और उच्च उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मिट्टी (Soil):
शीशम के लिए उपयुक्त मिट्टी नीत्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटासियम (NPK) के सही संघटन के साथ सुगंधित होनी चाहिए। शीशम पौधों को अच्छी तरह से बूटिंग और विकास के लिए उपयुक्त मिट्टी की आवश्यकता है। मिट्टी की अच्छी द्रैवी संरचना और अच्छी ड्रेनेज सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। मिट्टी का पीएच मान सामान्यत: 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
शीशम की मिट्टी को कीटाणुरोधक और पोषण युक्त बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कमीयाबी और जीवाणु शक्तिवर्धन के लिए कुड़ाई करें।
जलवायु (Climate):
शीशम की खेती के लिए उच्च तापमान सुनिश्चित करें, लेकिन धूप और उच्च तापमान के कारण पौधों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवेग युक्त जलवायु की जरूरत है। शीशम पौधों के लिए उच्च और नियमित वर्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन विरासत उपमहाद्वीप में अच्छे संरचना वाली भूमि के लिए भी आवश्यक है।
शीशम का पूर्वांचली प्रदेश में प्रशिक्षित मौसम, जिसमें ठंडा मौसम और गर्म मौसम होते हैं, अच्छे विकास के लिए उपयुक्त है। शीशम पौधों को विकास के लिए ठंडा मौसम अच्छा रहता है, लेकिन पुनरावृत्ति युक्त भूमि में भी उच्च उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है।
शीशम को शुष्क और सुहावना मौसम पसंद है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि पौधों को नियमित रूप से पानी दिया जाए ताकि विकास हो सके। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, शीशम की खेती की जा सकती है और यह आपको उच्च उत्पादकता और अच्छी गुणवत्ता वाली लकड़ी प्रदान कर सकती है।
शीशम के खेत की तैयारी:
शीशम की खेती में समतल भूमि की जरूरत होती है | इसलिए सर्वप्रथम खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है | जुताई के बाद खेत की मिट्टी के अनुसार गोबर की खाद और रासायनिक उवर्रक की मात्रा को भी डाल सकते है | इसके बाद खेत में पानी लगा देते है | पानी लगाने के कुछ दिन बाद रोटावेटर लगाकर खेत की जुताई कर दी जाती है, और फिर खेत को समतल कर देते है, इससे खेत में पानी नहीं ठहरता है | इसके बाद पौधों को लगाने के लिए उचित दूरी पर गड्डो को तैयार कर लिया जाता है |
पॉपुलर की खेती, खेती की प्रक्रिया, विशेषता तथा लाभ ।
शीशम की लकड़ी के उपयोग:
- यह इमारती लकड़ियों में सबसे अच्छी मानी जाती है | इसकी लकड़ी से खिड़की के फ्रेम, दरवाजे, बिजली के बोर्ड और रेलगाड़ी के डब्बे जैसी चीजों को बनाते है |
- शीशम की लड़की को ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है, तथा ताजी पत्तिया पशुओ के लिए हरा चारा होता है |
- शीशम के वृक्ष से निकलने वाली पत्ती, छाल, बीज और जड़ो से अलग – अलग प्रकार की औषधियों बनाई जाती है |
- सौन्दर्य प्रसाधन के चीजों में भी शीशम का उपयोग किया जाता है |
- शीशम की लकड़ी के उपयोग (Rosewood Uses)
- शीशम एक ऐसा वृक्ष है, जिसके सभी भागो को इस्तेमाल में लाते है |
- इसके पेड़ से छाल, पत्तो और तेल भी मिल जाता है | शीशम से निकलने वाले तेल का उपयोग मशीनों में चिकनाई बनाये रखने के लिए करते है |
शीशम की उन्नत किस्में:
शीशम (Dalbergia sissoo) की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं जो विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त होती हैं। ये किस्में अधिकतर विकसित किसानी स्थानों और वन्यजनों के लिए उत्पादन के उच्च गुणवत्ता के लिए चयनित की जाती हैं।
यह किस्म उत्तर भारत के पंजाब क्षेत्र में पाई जाती है और उच्च उत्पादकता के लिए अच्छी जानी जाती है।
कुमार शीशम भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च उत्पादकता के लिए लोकप्रिय है। इसकी लकड़ी और फाइबर की गुणवत्ता उच्च होती है।
यह उन्नत किस्म भारत के विभिन्न भूभागों में पाई जाती है और उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी उत्पन्न करने के लिए प्रसिद्ध है। इस उन्नत किस्म का चयन भारतीय वन्यजन सेवा के उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जो अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यह भी एक उन्नत शीशम की किस्म है जो विभिन्न भूभागों में पुनर्निर्माण के उद्देश्यों के लिए चयनित की जाती है।
यह किस्म भारतीय वन्यजन सेवा के उद्देश्यों के लिए विकसित की गई है, जो वन्यजनों के लिए आदर्श हो सकती है।
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप अपने क्षेत्र की भूमि और जलवायु के अनुसार सही किस्म का चयन करें ताकि आप उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता वाली लकड़ी प्राप्त कर सकें। आपके स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेना भी उपयुक्त हो सकता है।
शीशम के पेड़ की कटाई:
शीशम के पेड़ बीज रोपाई के तक़रीबन 30 वर्ष बाद 1 फुट से अधिक चौड़ा हो जाता है | इस दौरान इसकी कटाई की जा सकती है | इसके एक पेड़ से आधा घन मीटर लकड़ी प्राप्त हो जाती है | जिसकी बाजार में कीमत न्यूनतम 5 हज़ार रूपए तक होती है | इस तरह से यदि आप एक हेक्टेयर के खेत में 100 पेड़ो को लगाते है, तो आप 30 वर्ष में शीशम के पेड़ो से 5 लाख तक की कमाई कर सकते है, तथा प्रति वर्ष टहनियों की छटाई कर ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त हो जाती है |