पंचगव्य क्या होता है?
“पंचगव्य” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “पाँच गऊँ” या “पाँच गायों का समूह”। इस शब्द का उपयोग हिन्दू आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा धार्मिक परंपराओं में होता है, जहां पाँच प्रकार के गऊँ (गायें) और उनके अंगों से बने औषधियों को मिलाकर उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
पंचगव्य में पाँच प्रमुख घटक होते हैं:
1. गोमूत्र (Cow Urine): गोमूत्र को आयुर्वेद में शरीर के विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोगी माना जाता है। इसे शुद्ध करके और उपयोग करके विभिन्न रोगों की प्रतिरोधक्षमता बढ़ाने का दावा किया जाता है।
2.गोमय (Cow Dung): गोमय को राष्ट्रीय गौवंश संरक्षण अभियान के तहत अलग-अलग प्रकार के उपयोग के लिए उपलब्ध किया जाता है। इसका उपयोग उर्वरक बनाने, अनुष्ठान, और शौचालय सूजी बनाने में हो सकता है।
3.गोमृत (Cow Milk): गोमृत, यानी गाय का दूध, आयुर्वेद में आहार और औषधियों के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है। गोमृत से विभिन्न आहार सामग्रियाँ बनाई जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
4.गोरस (Cow Ghee): गोरस, यानी गाय का घी, भारतीय रसोईघरों में अहम रोल निभाता है। इसे आयुर्वेद में भी उच्च मूल्य के रूप में माना जाता है, और इसे विभिन्न चिकित्सात्मक औषधियों में उपयोग किया जाता है।
5.गोशीरा (Cow Curd): गोशीरा, यानी गाय का दही, भी आयुर्वेद में महत्वपूर्ण रोल निभाता है और इसे स्वास्थ्य के लाभ के लिए उपयोग किया जाता है।
पंचगव्य का उपयोग धार्मिक, सांस्कृतिक, और आयुर्वेदिक परंपराओं में होता है और लोग इसे अपने दैहिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उपयोग करते हैं।
पंचगव्य से फायदे (Benefits of Panchagavya):
- कृषि योग्य भूमि में पंचगव्य का उपयोग करनें से होनें वाले लाभ इस प्रकार है-
भूमि में पंचगव्य का इस्तेमाल करनें से खेत में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है | - खेत में पंचगव्य का इस्तेमाल करनें से खेत की उर्वरा अर्थात उपजाऊ शक्ति में सुधार होता है |
- इसके निरंतर उपयोग से भूमि में हवा व नमी का संतुलन बना रहता है |
- फसलों में विभिन्न प्रकार के होनें वाले रोग और कीट का प्रभाव काफी कम हो जाता है |
- रासायनिक खादों की अपेक्षा यह काफी सरल और आसानी से प्राप्त किया जा सकता है |
- पंचगव्य खेत में जल की आवश्यकता को 25 से 30 प्रतिशत तक कम कर देता है, जिसके कारण सूखे की स्थिति में पौधा जीवित अवस्था में बना रहता है |
- पंचगव्य के इस्तेमाल से फसलों के उत्पादन में वृद्धि के साथ ही यह पशुओं और मानव जीवन के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
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पंचगव्य बनानें हेतु आवश्यक सामग्री (Ingredients needed to make Panchagavya)
फसलों के बेहतर उत्पादन और मानव जीवन के लिए पंचगव्य अमृत के समान है और सबसे कहस बता यह है, कि आप इसे अपनें घर पर ही तैयार कर सकते है | यदि आप इसे बनाना चाहते है, तो इसके लिए कुछ सामग्री की आवश्यकता होगी जो इस प्रकार है-
क्रं०स० | सामग्री का नाम | मात्रा |
1. | देशी गाय का फ्रेश गोबर | 5 किलोग्राम |
2. | देशी गाय का ताजा मूत्र | 3 लीटर |
3. | देशी गाय का ताजा कच्चा दूध | 2 लीटर |
4. | देशी गाय का दही | 2 लीटर |
5. | देशी गाय का घी | 500 ग्राम |
6. | गुड़ | 500 ग्राम |
7. | पके हुए केले | 1 दर्जन (12) |
पंचगव्य बनाने की विधि:
पंचगव्य बनाने की विधि हिन्दू आयुर्वेदिक तथा गौ-संस्कृति में उपयोग होने वाले पवित्र पदार्थों का समूह है। यह बनाने की विधि अनेक रूपों में हो सकती है, लेकिन निम्नलिखित एक सामान्य तकनीक है:
सामग्री:
- गोमूत्र (गाय का मूत्र)
- गोमय (गाय का गोबर)
- गोरस (गाय का घी)
- गोशीरा (गाय का दही)
- गोमृत (गाय का दूध)
प्रक्रिया:
गोमूत्र (गाय का मूत्र):
गोमूत्र को साफ करें और एक स्वच्छ जाड़े बर्तन में इकट्ठा करें।
इसे सुरक्षित स्थान पर रखें और धूप में सुखाएं।
गोमय (गाय का गोबर):
गोमय को अच्छे से साफ करें और टुकड़ों में काटें।
इसे भी धूप में सुखाएं और सुरक्षित स्थान पर रखें।
गोरस (गाय का घी):
गोरस बनाने के लिए गाय का दूध लें और उसे ब्राउन करें।
जब घी निकलने लगे, उसे ठंडा होने दें और धूप में सुखाएं।
गोशीरा (गाय का दही):
गोरस बनाने के लिए गाय का दूध को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें ताकि यह थोड़ा ढंग से कटे। इसके बाद, इसमें दही फेरें और इसे धूप में सुखाएं।
गोमृत (गाय का दूध):
गोमृत को एक स्वच्छ और धूप से भरी हुई बोतल में सुरक्षित रखें।
इन पंचगव्यों को इकठ्ठा करने के बाद, इन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा धार्मिक क्रियाओं में उपयोग करने के लिए स्वास्थ्य सलाहकार या धार्मिक गुरु की मार्गदर्शन में लें। यह बहुतरही आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य लाभकारी उपयोगों के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति के साथ किया जाना चाहिए।
पंचगव्य का उपयोग कैसे करे (How to use Panchagavya):
पंचगव्य का प्रयोग आप विभिन्न प्रकार की फसलों जैसे गेहूँ (Wheat), मक्का (Maize), बाजरा (Bajra), धान (Paddy), मूंग (Moong), उर्द (Urd), कपास (Cotton), सरसों (Mustard), मिर्च (Chilli), टमाटर (Tomato), बैंगन (Brinjal), प्याज (Onion), मूली (Radish), गाजर (Carrot), आलू (Potato), हल्दी (Turmeric), अदरक (Ginger), लहसुन (Garlic), हरी सब्जियाँ (Green vegetables), फूल पौधे (Flower plants) आदि में प्रत्येक 15 दिनों के अंतराल में कर सकते है | यहाँ तक कि आप इसे दस लीटर जल में 250 ग्राम पंचगव्य मिलाकर किसी भी फसल में इस्तेमाल कर सकते है | यदि फसल के काटनें का समय नजदीक है, तो आप इसे फसल कटाई से 20 दिन पहले इसका उपयोग कर सकते है |
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