सोयाबीन की खेती

सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है? पैदावार तथा लाभ ।

सोयाबीन की खेती जानकारी

सोयाबीन की खेती के लिए अच्छी ड्रेनेज और अच्छी खाद्य सामग्री वाली भूमि का चयन करें। खेत की तैयारी के लिए खेत को गहराई से जोतें, खुदाई करें, और खाद्य सामग्री मिश्रित करें। सोयाबीन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। बीज को अच्छी तरह से ब्राडकास्ट करने से पहले उसे उबाल लें या उसे गर्मियों के लिए तैयार करें। सोयाबीन के बुआई के लिए बीजों की खेत में विशेष खेती की जाती है। बीजों की बुआई का सही खिचाव और खद्य सामग्री के साथ होना चाहिए।

सोयाबीन पौधों को नियमित और सही मात्रा में पानी देना आवश्यक है। सिंचाई की गुणवत्ता और समय का खास ध्यान रखें, क्योंकि यह पौधों की विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सोयाबीन के पौधों पर कीट, कीटाणु, और फफूंदी से बचाव के लिए उपयुक्त कीटनाशकों और रोगनाशकों का उपयोग करें।

सोयाबीन की कटाई पौधों के पकने के समय की जाती है, जब पौधों के पूरे रूप में दाने हो जाते हैं। कटाई के बाद, सोयाबीन के पौधों को सूखाने और रोने के लिए बाहर रखें। कटे हुए सोयाबीन को सुरक्षित और स्वच्छ जगह पर सहेजें। सोयाबीन की बाजार में बेचने के लिए विपणी योजना बनाएं और अच्छे दाम प्राप्त करने के लिए उपयुक्त बाजारों का चयन करें।

सोयाबीन की खेती के दौरान नियमित देखभाल करें और उन्हें सही दिशा में विकसित करने के लिए पौधों को कटने और अनुशासन करें।

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सोयाबीन का सबसे अच्छा बीज

वर्तमान समय में सोयाबीन की कई उन्नत क़िस्मों को अलग-अलग स्थान पर अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है, जो इस प्रकार है:-

क्रम संख्या उन्नत क़िस्म उत्पादन समय उत्पादन की मात्रा
1. जे.एस. 93-05 95 दिन 20 से 25 क्विंटल/हेक्टेयर
2. एन.आर.सी-7 100 दिन 35 क्विंटल/हेक्टेयर
3. एन.आर.सी-12 90 दिन 25 से 30 क्विंटल/हेक्टेयर
4. प्रतिष्ठा 100 दिन 20 से 30 क्विंटल/हेक्टेयर
5. जे.एस. 20-34 85 से 90 दिन 22 से 25 क्विंटल/हेक्टेयर
6. एन.आर.सी-86 95 दिन 25 क्विंटल/हेक्टेयर

सोयाबीन के खेती करने में उर्वरक:- 

सोयाबीन की खेती में उर्वरक (खाद्य सामग्री) का सही और समय पर प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पौधों की सही विकास और अच्छी पैदावार को प्रभावित कर सकता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो सोयाबीन की खेती में उर्वरक के प्रयोग के संबंध में ध्यान देना चाहिए। खेत की मिट्टी की जाँच करें ताकि सही उर्वरक की मात्रा का पता चल सके। मिट्टी में कमी या अधिशेष जैविक तत्वों को पूरा करने के लिए उर्वरक की आवश्यकता होती है।

सोयाबीन की खेती के लिए उर्वरक का चयन करते समय, खेत की जमीन की गुणवत्ता, सोयाबीन की ज़रुरतों को ध्यान में रखना चाहिए। उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाशियम (NPK) की सही संख्या और मात्रा को ध्यान में रखना चाहिए।

सोयाबीन की पौधों को उर्वरक की सही मात्रा में समय पर देना चाहिए।
उर्वरक का प्रथम और द्वितीय खुराक विकसाता पौधों की सही विकास के लिए महत्वपूर्ण है। स्थानीय जलवायु, मिट्टी, और पौधों की आवश्यकताओं के आधार पर उर्वरक की खास मात्रा का पता करें।

उर्वरक को सही तरीके से पौधों के निकट लागू करें ताकि वह जल्दी से संश्लेषण कर सकें। उर्वरक की सीधी सीरी का अनुसरण करें ताकि पौधों को सीधे रूप से मिले यदि कोई उर्वरक की कमी हो तो संपादन की आवश्यकता हो सकती है, जिसे अनुसरण करें। इन सभी उपायों को ध्यान में रखकर, सही तरीके से उर्वरक का प्रयोग कर सोयाबीन की खेती में अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यदि संदेह हो, तो स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है।

सोयाबीन के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका:-

सोयाबीन के बीजो की रोपाई बीज के रूप में की जाती है | इसके बीजो की रोपाई के लिए एक हेक्टेयर के खेत में छोटे आकार वाले दाने तक़रीबन 71KG, मध्यम आकार के 81KG, तथा बड़े आकार वाले 101KG दानो की आवश्यकता होती है | सोयाबीन के बीजो की रोपाई समतल खेत में मशीन द्वारा की जाती है | इसके लिए खेत में 31CM की दूरी रखते हुए पंक्तियों को तैयार कर लिया जाता है, तथा बीजो को रोपाई 2.3 से 3CM की गहराई में की जाती है |

बीज रोपाई से पूर्व उन्हें केप्‍टान, थीरम, कार्बेन्‍डाजिम या थायोफेनेट मिथीईल की उचित मात्रा का मिश्रण बनाकर उपचारित कर लिया जाता है | इससे बीज अंकुरण के समय उन्हें रोग लगने का खतरा कम हो जाता है | सोयाबीन के बीजो की रोपाई के लिए जून और जुलाई का महीना उपयुक्त माना जाता है |

सोयाबीन की फसल से कई प्रकार के लाभ होते हैं:

आर्थिक लाभ:

सोयाबीन की खेती आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है। सोयाबीन की बीज से बनने उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जैसे कि सोयाबीन तेल, डाल, प्रोटीन पाउडर, और सोया खाद्य सामग्री।

आपूर्ति की सुरक्षा:

सोयाबीन एक महत्वपूर्ण पैदावार है, जिससे फसल आपूर्ति में वृद्धि की जा सकती है, विशेषकर देशों में जहाँ योजनाएँ आयोजित की जा रही हैं ताकि प्रोटीन सुप्लाई में सुधार हो।

पोषण:

सोयाबीन बीज में प्रोटीन, विटामिन, और खनिजों की अच्छी मात्रा होती है, और यह आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।

पशुपालन:

सोयाबीन की खाद्य सामग्री पशुओं के लिए एक महत्वपूर्ण चारा हो सकती है और पशुओं के पोषण में सुधार कर सकती है।

पर्यावरणीय लाभ:

सोयाबीन की फसल नाइट्रोजन संश्लेषण में मदद कर सकती है, जिससे अन्य फसलों के लिए नाइट्रोजन की आपूर्ति में कमी हो सकती है।

जलवायु और जलवायु परिवर्तन की सामर्थ्य:

सोयाबीन की फसल कई प्रकार के मौसम और जलवायु शर्तों में उगाई जा सकती है, जिससे कृषकों के लिए विचार के रूप में एक पर्याप्त फसल हो सकती है।

पौधों की जड़ों का उपयोग:

सोयाबीन की फसल के बाद उसकी जड़ों का उपयोग अल्पकालिक किस्मों के लिए जलवायु परिवर्तन से बचाव के लिए किया जा सकता है।

इन लाभों के साथ, सोयाबीन की खेती किसानों और कृषि उद्योग के लिए आर्थिक, पोषणिक, और पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती है।

सोयाबीन की खेती – Vikaspedia

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