Papaya cultivation, in which month, how much it benefits, know complete information

Papaya cultivation, in which month, how much it benefits, know complete information

Papaya cultivation पपीता की खेती, कौन से महीने में करें, कितनी होती है इससे लाभ, जाने पूरी जानकारी

(Papaya cultivation)बागवानी फसलों की खेती करने के लिए पपीता की खेती सबसे उत्तम माना गया है। इसमें सबसे खास बात होती है, की पपीता की खेती साल भर कर सकते हैं। पपीता की खेती के लिए 20 – 40 डिग्री सेल्शियस तापमान सबसे उत्तम होता है। जल निकास युक्त दोमट मीट्टी पपीते की खेती के लीये सही रहती है। भूमि की गहराई 46 सेमी से कम नही बल्कि अधिक होनी चाहिए।

पपीता के इस किस्म की करें खेती व्यवसायिक रूप से फल उत्पादन के लिए ताइवान , रेड लेडी -785, हानिड्यू (मधु बिंदु) , कुर्ग हनीड्यू, वाशिंगटन, कोयंबटूर -1 , पंजाब स्वीट , पूसा डिलीशियस ,पूसा जाइंट , पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा, सूर्या, पंत पपीता आदि।

(Papaya cultivation) कृषि में हरे और कच्चे पपीते के फलों से सफेद रस या दूध निकालकर सुखाए गए पदार्थ को पपेन कहते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से मांस को मुलायम करने, प्रोटीन के पचाने, पेय पदार्थों को साफ करने, च्विंगम बनाने, पेपर कारखाने में, दवाओं के निर्माण में, सौन्दर्य प्रसाधन के सामान बनाने आदि के लिए किया जाता है।

पपेन उत्पादन किस्मों के लिए पूसा मैजेस्टी , CO. -5, CO. -2 जैसी किस्मों को लगा सकते हैं। पपीता एक ऐसी फसल है, जिसे गमलों में भी लगा सकते हैं, लेकिन इसके लिए खास किस्मों को ही होना चाहिए। गमलों में लगाने के लिए पूसा नन्हा, पूसा ड्वार्फ आदि का चुनाव करना चाहिए।

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(Papaya cultivation) कौन सी किस्म की क्या है खासियत

रेड लेडी : (Papaya cultivation) यह अत्यधिक लोकप्रिय किस्म है फल का वजन 1.6 – 2.1 कि. ग्रा. यह अत्यधिक स्वदिष्ट होती है। इसमें 12 % सर्करा पायी जाती यह रिंग स्पॉट वायरस के प्रति सहनशील है।

पूसा मैजेस्टी : (Papaya cultivation) यह किस्म पपेन ज्यादा मात्रा में प्रदान करती है . यह पपीता का किस्म सूत्रकृमि के प्रति जयादा सहनशील है।

पूसा डेलिशियस: (Papaya cultivation) यह पपीता की एक नयी और गाइनोडायोशियस किस्म है। इसके पौधे मध्यम ऊंचाई की होती है और ये किस्म अच्छी उपज देने वाले होते हैं। यह एक अच्छे स्वाद, सुगन्ध और गहरे नारंगी रंग का फल देने वाली किस्म है, जिसकी औसत उपज 59 से 62 किलोग्राम प्रति पौधा तक होती है। इसमें कुल घुलनशील ठोस 11 से 13 ब्रिक्स होता है। इस किस्म के फल का औसत वजन 1.2 से 2.1 किलोग्राम होता है। पौधों में फल जमीन की सतह से 71 से 81 सेंटीमीटर की ऊँचाई से लगना प्रारम्भ कर देते हैं। पौधे लगाने के 261 से 291 दिनों बाद इस किस्म में फल लगना प्रारम्भ हो जाते है।

पूसा ड्वार्फ: यह पपीता की डायोशियस किस्म है, इसके पौधे छोटे और चौले होते हैं और फल का उत्पादन अधिक देते है। फल अण्डाकार 1.1 से 2.2 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं। पौधे में फल ज़मीन की सतह से 26 से 31 सेंटीमीटर ऊपर से लगना प्रारम्भ हो जाते हैं। सघन बागवानी के लिए यह प्रजाति अत्यन्त उपयुक्त है। इसकी पैदावार 41 से 52 किलोग्राम प्रति पौधा है। फल के पकने पर गूदे का रंग पीला होता है।

पूसा जायन्ट: (Papaya cultivation) इस पपीता किस्म का पौधा मजबूत, अच्छी बढ़वार वाला और तेज हवा सहने की क्षमता रखता है। यह भी एक डायोशियस किस्म है। फल बड़े आकार के 2.5 से 3.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं, जो कैनिंग उद्योग के लिए उपयुक्त हैं। प्रति पौधा औसत उपज 32 से 36 किलोग्राम तक होती है। यह किस्म पेठा और सब्जी बनाने के लिये भी काफी सही होता है।

पूसा नन्हा: (Papaya cultivation) यह पपीता की एक अत्यन्त बौनी किस्म है, जिसमें 14 से 21 सेंटीमीटर ज़मीन की सतह से ऊपर फल लगना प्रारम्भ हो जाते हैं। बागवानी व गमलों में छत पर भी यह पौधा लगाया जाता है। यह एक डायोशियस प्रकार की किस्म है, जो 3.1 वर्षों तक फल दे सकती है। इसमें कुल घुलनशील ठोस 11 से 13 ब्रिक्स होता है। इस किस्म से प्रति पौधा 26 किलोग्राम फल प्राप्त होता है।

अर्का सूर्या: (Papaya cultivation) यह पपीता की गाइनोडायोशियस किस्म है। जिसका औसत वजन 600 से 800 ग्राम तक होता है। यह सोलो और पिंक फ्लेश स्वीट द्वारा विकसित शंकर  किस्म है। इस किस्म की प्रति पौधा औसत पैदावार 54 से 55 किलोग्राम तक होती है और फल की भंडारण क्षमता भी अच्छी हैं। पपीता की बुवाई पपीते का व्यवसाय उत्पादन बीजों द्वारा किया जाता है।

पपीता के सफल उत्पादन के लिए यह जरूरी है कि बीज अच्छी क्वालिटी का हो। बीज का चुनाव करते समय इन बातों पर ध्यान देना चाहिए:

1. (Papaya cultivation) बीज बोने का समय जुलाई से सितम्बर और फरवरी-मार्च होता है।

2. (Papaya cultivation) बीज अच्छी किस्म के अच्छे व स्वस्थ फलों से लेने चाहिए। चूंकि यह नई किस्म संकर प्रजाति की है, लिहाजा हर बार इसका नया बीज ही बोना चाहिए।

3. (Papaya cultivation) बीजों को क्यारियों, लकड़ी के बक्सों, मिट्‌टी के गमलों व पॉलीथीन की थैलियों में बोया जा सकता है।

4. क्यारियां जमीन की सतह से 14 सेंटीमीटर ऊंची व 2 मीटर चौड़ी होनी चाहिए।

5. (Papaya cultivation)क्यारियों में गोबर की खाद, कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट की काफी मात्रा में डालना चाहिए। पौधे को पद विगलन रोग से बचाने के लिए क्यारियों को फार्मलीन के 1:41 के घोल से उपचारित कर लेना चाहिए और बीजों को 0.12 फीसदी कॉपर आक्सीक्लोराइड के घोल से उपचारित करके बोना चाहिए।

6. जब पौधे 9-11 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं, तो उन्हें क्यारी से पौलीथीन में स्थानांतरित कर देते हैं।

7. जब पौधे 14 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाएं, तब 0.31 फीसदी फफूंदीनाशक घोल का छिड़काव कर देना चाहिए।

(Papaya cultivation) बीज व बीजोपचार एक हैक्टर क्षेत्रफल के लिए 504 -608 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बोने से पूर्व बीज को 3.2 ग्राम केप्टान प्रति किलो ग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर लेना चाहिए। पौध रोपण : 45 X 45 X 45 सेमी . आकर के गड्ढ़े 1.5 X 1.5 या 2 X 2 मीटर की दुरी दूरी पर तैयार करें।

प्रति गड्ढे 11 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद, 506 ग्राम जिप्सम, 51 ग्राम क्यूनालफास 1.6 % चूर्ण भर देना चाहिए। प्लास्टिक थैलियों में बीज की रोपाई इसके लिए 204 गेज और 20 x 15 सेमी आकर की थैलियों की जरूरत होती है। जिनको किसी कील से नीचे और साइड में छेद कर देते हैं और 1:1:1:1 पत्ती की खाद, रेट, गोबर और मिट्टी का मिश्रण बनाकर थैलियों में भर देते हैं।

(Papaya cultivation) प्रत्येक थैली में तीन या चार बीज बो देते हैं। उचित ऊंचाई होने पर पौधों को खेत में प्रतिरोपण कर देते हैं । प्रतिरोपण करते समय थाली के नीचे का भाग फाड़ देना चाहिए। सिंचाई पौधा लगाने के तुरन्त बाद सिंचाई करें ध्यान रहे पौधे के तने के पास पानी न भरने पाए। गर्मियों में 6-7 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 11 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

तुड़ाई और उत्पादन पौधे लगाने के 11 से 14 माह बाद फल तोड़ने लायक हो जाते हैं। फलों का रंग गहरा हरे रंग से बदलकर हल्‍का पीला होने लगता है और फलों पर नाखून लगने से दूध की जगह पानी और तरल निकलता हो तो समझना चाहिए कि फल पक गया है । एक पौधे से औसतन 152 – 206 ग्राम पपेन प्राप्त हो जाती है प्रति पौधा 45 -75 किलो पति पौधा उपज प्राप्त हो जाती है ।

(Papaya cultivation) पपीता की खेती में होने वाला लाभ

ये साल भर उगने वाले कृषि है मार्किट में पपीता को हमेसा मांग ही रहती है । इस सरे किस्मों को आजमाइए और केयर करते हुए कृषि कीजिये । अपने फशल को अच्छे दामों पर ही बेचे । 500 गज की भूमि में इस कृषि से साल भर में आपकी 16 लाख रुपये तक की कमाई होगी, जिसमें से करीब 13-14 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा होगा ।  वहीं ये फसल आपको अगले साल भी फल देगी, लेकिन संख्या गिर जाएगी । उत्तर भारत में पपीता मार्च अप्रैल में लगाया जाता है ।  निर्भर करता है है आप कितने एकड़ में पपीता फशल ऊगा सकते है और तयारी कर उसे बेच सकते है ।

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