काली हल्दी की खेती (Black Turmeric Farming)
Cultivation of black turmericकाली हल्दी की फसल को मुख्य रूप से औषधीय रूप में उपजाया जाता है | इसके पौधे देखने में केली के पेड़ जैसे होते है | वैसे तो क्षेत्रों में अनेकों नाम जाना जाता है, कई राज्यों में काली हल्दी को नरकचूर नाम से भी पहचाना जाता है | रोग नाशक तथा सौन्दर्य प्रसाधन के लिए काली हल्दी को सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है | इसका वानस्पतिक नाम कुरकुमा, केसीया तथा अंग्रेजी में इसे ब्लेक जे डोरी कहते है | इसका पौधा तकरीबन 35 -60 CM तक ऊँचा होता है, जिसकी पत्तिया आकार में गोलाकार होती है | इसकी ऊपरी सतह पर गोलाकार नीले और बैंगनी रंग की मध्य शिरा होती है |
इसके पौधे पत्तियों के रूप में विकास करते है, तथा इसमें निकलने वाली पत्तियों का आकार केले की पत्तियों के जैसा होता है | काली हल्दी के पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए ज्यादा वर्षा या ज्यादा गर्म जलवायु की जरुरत होती है | इसकी फसल को मध्य भारत और दक्षिण भारत में मुख्य रूप से उपजाया जाता है | काली हल्दी बिक्री अच्छे मूल्य पर होती है, जिस वजह से किसान भाई काली हल्दी की खेती करना ज्यादा पसंद करते है | आज इस लेख के माध्यम से हम आपलोगों को काली हल्दी के खेती के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है।
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Cultivation of black turmeric के लिए उपयुक्त मिटटी जलवायु और तापमान
Cultivation of black turmericकाली हल्दी की खेती को किसी भी सामान्य उपजाऊ वाली भूमि में कर सकते है, किन्तु जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती को करना मूर्खता है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 -7 के बिच होना चाहिए | काली हल्दी की अच्छी फसल के लिए समशीतोष्ण और नम जलवायु की जरुरत होती है | इसके पौधों की ज्यादा गर्म जलवायु में झुलस जाती है, जिससे पौधे का विकास पूरी तरह से थम जाता है, किन्तु सर्दियों और बारिश का मौसम इसके पौधे की वृद्धि के लिए सही माना जाता है |
काली हल्दी के पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए उन्हें सामान्य तापमान की जरुरत होती है, जिसमे इसके कंदो को अंकुरित होने के लिए 21 से 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा पौधों की वृद्धि के समय यह न्यूनतम 12 डिग्री तथा अधिकतम 39 डिग्री तापमान को सहन कर सकते है |
काली हल्दी की फसल के लिए खेत की मरम्मत (Black Turmeric Field Preparation)
काली हल्दी की फसलCultivation of black turmeric के लिए खेत को अच्छी तरह से रेडी कर लेना चाहिए | इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए, जिससे पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे | इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए, जिससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाएगी | इसके बाद खेत में 16 से 17 गाड़ी पुरानी सड़ी गोबर की खाद को डालकर कर जुताई कर मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए | चूंकि काली हल्दी की खेती को औषधीय रूप में किया जाता है |
इसलिए इसकी फसल के लिए जैविक खाद को अधिक उपयोगी होता है, किन्तु जो किसान भाई रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहते है | उन्हें खेत की आखरी जुताई के समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 51 किलो एन.पी.के. की मात्रा को खेत में छिड़क देना चाहिए | खेत की मिट्टी में खाद को डालने के बाद उसे अच्छी तरह से मिलाने के लिए खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर देनी चाहिए | इसके बाद खेत में पानी लगा कर पेलव कर देना चाहिए | पलेव करने के कुछ समय के बाद खेत की मिट्टी के ऊपर से सूख जाने के बाद रोटावेटर लगा कर जुताई कर देनी चाहिए | इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | इसके बाद खेत में पाटा लगा कर खेत को समतल कर दे, जिससे खेत में जलभराव की समस्या न हो |
काली हल्दी के पौधों की रोपाई का उचित समय और तरीका (Black Turmeric Plants Transplanting Right, Time and Method )
काली हल्दी के पौधों की रोपाई को दो विधियों द्वारा किया जाता है | पहला कंद के रूप में और दूसरा पौधों के रूप में इसके पौधों की रोपाई की जाती है | कंदो के रूप में रोपाई करने के लिए एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 21 किवंटल कंदो की जरुरत होती है | कंदो की रोपाई से पूर्व उन्हें बाविस्टीन की उचित मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए | इसके बाद उन्हें खेत में लगाना चाहिए | कंदो की रोपाई के समय इस बात का जरूर ध्यान रखे की कंद बिलकुल हेल्थी हो |
पौधे के रूप में रोपाई के लिए खेत में मेड़ो को रेडी कर लिया जाता है | इसके लिए प्रत्येक मेड़ के बीच में एक से डेढ़ फ़ीट की डिस्टेंस होनी चाहिए, तथा प्रत्येक पौधों के मध्य 26 से 30 CM की दूरी अवश्य हो | इसके कंदो की रोपाई के लिए बारिश के मौसम को ज्यादा उपयुक्त माना जाता है, क्योकि इस दौरान इसके पौधों को वृद्धि करने के लिए सही वातावरण मिल जाता है |
काली हल्दी के पौधों की सिंचाई (Black Turmeric Plants Irrigation)
काली हल्दी Cultivation of black turmericके पौधों को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसके कंदो की रोपाई को नरम भूमि में किया जाता है | इसके लिए कंद रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली पटाव कर देनी चाहिए | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को 10 से 12 में सिंचाई की जरुरत होती है, वही सर्दियो के मौसम में 17 से 20 के अंतराल में इसके पौधों को पानी दे देना चाहिए | बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही इसके पौधों को पानी देना चाहिए |
काली हल्दीCultivation of black turmeric के पौधे कंदो की रोपाई के तक़रीबन 255 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | इसके कंदो की खुदाई को सर्दी के मौसम के अंत में शुरू कर लेना चाहिए | जनवरी से मार्च माह के मध्य तक इसके पौधों की खुदाई को पूरी तरह से करना चाहिए | कंद खुदाई के बाद उनकी सफाई कर लेनी चाहिए, जिसके लिए उनके बाहरी छिलको को निकाल कर उसकी गाठो को धूप में रोस्ट कर लिया जाता है | जिसके बाद उन्हें बाजार में बेचने के लिए सेंड कर दिया जाता है |
Cultivation of black turmericकाली हल्दी के प्रत्येक पौधे से तक़रीबन डेढ़ से ढाई KG ताज़ी गाठो को प्राप्त किया जा सकता है | इस हिसाब से एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 1103 पौधों को लगाया जा सकता है | जिससे तक़रीबन 49 टन की पैदावार प्राप्त की जा सकती है | काली हल्दी का बाजारी भाव लगभग 450 से 600 के मध्य होता है,जिससे किसान भाई काली हल्दी की एक फसल से अच्छी कमाई कर सकते है |
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