Beetroot Cultivation, Mitti or Jalwayu, Unnat Kismen, Munafe

Beetroot Cultivation, Mitti or Jalwayu, Unnat Kismen, Munafe

Beetroot Cultivation, चुकंदर की खेती

Beetroot Cultivation: Beetroot Cultivation चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है, जिसे फल, सब्जी और सलाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। चुकंदर (Beetroot Benefits) में आयरन भरपूर मात्रा में होता है। इसके सेवन से शरीर में खून की मात्रा अधिक होती है और इम्यूनिटी भी मजबूत रहती है। ये शरीर क्र लिए जितना फायदेमंद है उतना ही इसके खेती करने से मुनाफे मिल जाते है। एक एकड़ में खेती करके कई लाख रुपया कमा सकते है किसान। इसकी खेती मात्र 3 महीने में सम्पूर्ण हो जाती है।

Beetroot Cultivation बता दें कि चुकंदर का इस्तेमाल आयुर्वेदिक (Beetroot in Ayurveda) औषधी के रूप में भी किया जाता है, जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारियों का उपचार भी कुछ हद तक संभव माना गया है। किसान चाहें तो इसकी खेती करके सिर्फ 3 महीने में 300 क्विंटल तक उत्पादन (Beetroot Production) कर सकते हैं। इसके लिये जरूरी है कि खेती की उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया जाये, जिससे किसानों को भी कम मेहनत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

मिट्टी और जलवायु Beetroot Cultivation

Beetroot Cultivation सामान्य मौसम और बलुई दोमट मिट्टी को चुकंदर की खेती के लिये सबसे बिलकुल सही माना गया हैं। इसकी खेती के लिये गर्मी और बारिश का मौसम सही नहीं रहता और जल भराव वाली मिट्टी में भी फसल सड़ जाती है, इसलिये 5 से 7 पीएच मान वाली मिट्टी, जल निकासी की व्यवस्था और सर्दियों के मौसम मेंही चुकंदर की खेती करना उचित रहती है। भारत में अक्टूबर से अप्रैल के महीने के बीच चुकंदर की खेती करने की सलाह दी जाती है।

चुकंदर की खेती के लिए उन्नत किस्में Beetroot Cultivation

Beetroot Cultivation चुकंदर की खेती से अच्छा लाभ कमाने के लिये उन्नत और रोगरोधी किस्मों का चयन करना आवश्यक माना गया है, जिससे कीट-कवकनाशी दवाओं पर ज्यादा खर्च ना करना पड़े और माध्यम खर्च में अच्छा उत्पादन मिल सके। वैस तो चुकंदर की चारा और अन्य किस्में काफी लोकप्रिय है, लेकिन भारत में किसान ज्यादातर डेट्रॉइट डार्क रेड, क्रिमसन ग्लोब, अर्ली वंडर, मिस्त्र की क्रॉस्बी, रूबी रानी, रोमनस्काया और एम.एस.एच.–103 किस्मों को लगाना पसंद करते हैं.

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Beetroot Cultivation

खेत की तैयारी Beetroot Cultivation

Beetroot Cultivation चुकंदर की फसल लगाने के लिए मिट्टी को महीन और दरदरा बनाया जाता है। ऐसा इसीलिए करते है ताकि फल बारे और ृषभरी हो, और अच्छे से विकसित हो सके, ज्यादा बड़ा हो सके और पैदावार ज्यादा हो। कल्टीवेटर और रोटावेटर मशीनों की मदद से खेतों की जुताई का कम कई गुना आसान हो जाता है। इसके बाद आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ खेत में 5 टन गोबर की खाद डाली जाती है और पाटा लगाकर चुकंदर की बुवाई का काम किया जाता है।

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Beetroot Cultivation चुकंदर की फसल को करने से पहले उसके खेत को अच्छे से रेडी कर लेना चाहिए | इसके लिए खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर देनी चाहिए | इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए। जिससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाये | चूंकि चुकंदर के पौधे भूमि की सतह पर रहकर विकास करते है, जिस वजह से उसकी जड़े अधिक गहराई में खनिज प्रदार्थो को ग्रहण नहीं कर पाती है, इसलिए चुकंदर के खेत को तैयार करते वक़्त अच्छे से उवर्रक की मात्रा को देना चाहिए|

Beetroot Cultivation जुते हुए खेत में 16 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालकर कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन तिरछी जुताई कर खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला दे | खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद खेत में पानी लगा कर पलेव कर देना चाहिए| इसके बाद खेत को 5 से 5 दिन के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए| जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर के माध्यम से सघन जुताई कर दे|

Beetroot Cultivation इसके बाद खेत में पाटा लगा कर जुताई कर दे, जिससे भूमि समतल हो जाएगी और जलभराव जैसी समस्या होगी | खेत को तैयार करने के बाद उसमे चुकंदर के पौधों को लगाने के लिए मेड को तैयार कर लेना चाहिए | चुकंदर के खेत में रासायनिक उवर्रक के लिए नाइट्रोजन 41 KG, फास्फोरस 62 KG और 81 KG पोटाश की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आखरी जुताई के वक़्त छिड़काव कर देना चाहिए|

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Beetroot Cultivation

चुकंदर की बुवाई Beetroot Cultivation 

  • Beetroot Cultivation बेहतर उत्पादन के लिये चुकंदर की बिजाई दो विधियों से की जाती है, जिसमें छिटकवां विधि और मेड़ विधि शामिल है। छिटकवां विधि में क्यारियां बनाकर बीजों को फेंक दिया जाता है, जिससे खाद और मिट्टी के बीच इन बीजों का अंकुरण हो जाता है। इस विधि में करीब 5 किलोग्राम प्रति एकड़ बीजों की जरूरत होती है।
  • Beetroot Cultivation वहीं मेड़ विधि से चुकंदर की बुवाई करने के लिए 11 इंच की दूरी ऊंची मेड़ या बेड बनाया जाता है। इन पर 4-4 इंच की दूरी रखकर मिट्टी में बीजों को लगाया जाता है। इस विधि में अधिक बीजों की जरूरत नहीं होती और कृषि कार्य करने में भी आसानी होती है।

चुकंदर में खरपतवार प्रबंधन Beetroot Cultivation 

Beetroot Cultivation चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है, जिसकी अच्छी बढ़वार के लिए निराई-गुड़ाई करने की आज्ञा प्रदान की जाती है। ये काम खरपतवार नियंत्रण के लिए लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि खरपतवार पौधे चुकंदर की फसल को कमजोर बना सकते हैं। ऐसे में निराई गुड़ाई विधि का प्रयोग करके इन अनावश्यक पौधों को उखाड़कर खेत के बाहर फेंक दिया जाता है। यद् रखे की इसमें किसी रासायनिक पदार्थों का प्रयोग न करे, क्यूंकि ऐसा करने से फसलों के विजों पर प्रभाव परता है, और पैदावार काम होता है जिससे आपको हानि का सामना करना पड़ेगा।

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चुकंदर में सिंचाई Beetroot Cultivation 

Beetroot Cultivation चुकंदर की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, जिसके चलते किसानों को कम खर्च में ही अधिक मुनाफा मिल जाता है। इसकी खेती सर्दियों में की जाती है, इसलिए खेतों में अधिक सिंचाई के मुकाबले थोड़ी नमी बनाकर ही काम चल जाता है। बता दें कि चुकंदर की फसल में पहली सिंचाई बीच की रोपाई के बाद और दूसरी सिंचाई निराई-गुड़ाई के बाद यानी 21 से 25 दिनों की जाती है, जिससे बीजों का अंकुरण और पौधों का विकास ठीक प्रकार हो सके।

चुकंदर की खेती से आमदनी Beetroot Cultivation 

Beetroot Cultivation चुकंदर एक मध्यम अवधि की फसल है, जो कम से कम समय में किसानों को अच्छा मुनाफा देती है। चुकंदर की बिजाई (Beetroot Cultivation) के बाद यह फसल 120 दिनों में यानी 3 महीने में पककर तैयार हो जाती है, जिससे 302 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन ले सकते है। बता दें कि बाजार में चुकंदर का भाव (Beetroot Price) ₹61 प्रति किलो है। इसका इस्तेमाल पशु चारे (Beetroot Animal Fodder) के रूप में भी किया जाता है।

Beetroot Cultivation यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है। ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

 

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