Barbarity Farming, Land and Climate, New Methods, 7 Month Farming

Barbarity Farming, Land and Climate, New Methods, 7 Month Farming

बरबटी की खेती (Barbarity Farming)

(Barbarity Farming) बरबटी को लोबिया के नाम से भी जाना जाता है। खेती सब्जी के फसल के लिए की जाती है | मैदानी क्षेत्रों में जनवरी से नवंबर के महीने तक लोबिया को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है | यह एक दलहनी फसल है, जो भूमि में वायुमंडल नत्रजन को संचित करती है, जिससे भूमि की उवर्रक क्षमता बढ़ती है, तथा उगाई जाने वाली फसल को नत्रजन का लाभ मिलता है | प्रोटीन के लिहाज़ से लोबिया एक उत्तम फसल है | लोबिया की खेती से दाने, सब्जी, चारा और हरी खाद का उत्पादन मिल जाता है | शाकाहारी भोजन में कुपोषण दूर करने में लोबिया की सब्जी बहुत ही महत्वपूर्ण है |

(Barbarity Farming) लोबिया में कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन की मात्रा अन्य हरी सब्जियों की तुलना में अधिक होती है | इसकी 100 ग्रा. हरी फलियों में 4.5 ग्रा. प्रोटीन, 83.0 ग्रा. कैल्शियम, 52 ग्रा. मैगनेशियम, 8.2 कार्बोहाइड्रेट और 85.7 ग्रा नमी पाई जाती है| किसान भाई लोबिया की खेती बाजरा, मक्का, ज्वार या अन्य दलहनी फसलों के रूप में कर सकते है | यदि आप भी लोबिया की खेती करने के बारे में सोच रहे है या जानना चाहते है तो य्ये लेख आपकरे लिए है। इस लेख में हम आपको बरबटी (लोबिया) की खेती कैसे होती है (Barbarity Farming in Hindi) तथा लोबिया की उन्नत किस्में की जानकारी देने वाले है |

लोबिया की खेती(Barbarity Farming) में भूमि व जलवायु (Cowpea Cultivation Land and Climate)

(Barbarity Farming) उचित जल निकासी वाली (ढ़लानी भूमि) किसी भी उपजाऊ मिट्टी में लोबिया की खेती कर सकते है | आपको बता दे, बलुई दोमट मिट्टी में लोबिया की काफी अच्छी पैदावार होती है | दिसंबर, जनवरी और ठंडे दिनों को छोड़कर लोबिया की खेती पूरे वर्ष ही की जा सकती है |

लोबिया के खेत(Barbarity Farming) की तैयारी (Cowpea Field Preparation)

(Barbarity Farming) लोबिया की खेती के लिए भुरभुरी उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी या काली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | इस कृषि के लिए फसल के पश्चात् खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर दी जाती है | खेत की मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए पानी लगाकर पलेव कर देते है। इससे खेत की मिट्टी नरम और गीली हो जाती है | जिसके बाद रोटावेटर लगाकर खेत की तीन से चार तिरछी जुताई कर दी जाती है, और मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | जुताई के पश्चात् खेत में पाटा लगाकर भूमि को एक सामान तल कर सकते है |

(Barbarity Farming) लोबिया की उन्नत किस्में (Cowpea Improved Varieties)

पूसा कोमल
(Barbarity Farming) लोबिया की यह क़िस्म 51 से 56 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है | यह एक बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी क़िस्म है, जिसे सभी ही ऋतुओ में उगाया जा सकता है | इसकी फलिया 21 से 23 CM लंबी और हल्के हरे रंग की होती है | जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 110 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है |

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  1. पूसा फाल्गुनी
    इस क़िस्म की लोबिया को तैयार होने में 65 से 75 दिन लग जाते है | इसमें निकलने वाले दाने आकार में छोटे और बेलनाकार तथा सफ़ेद रंग के होते है | जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 15 से 20 क्विंटल होता है |
  2. पूसा दो फसली
    यह क़िस्म तीनो ही ऋतुओ में उगाने के लिए उपयुक्त होती है, जिसे उत्पादन देने में 46 से 56 दिन लग जाते है | इस क़िस्म का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 78 से 80 क्विंटल होता है |
  3. पूसा ऋतुराज
    यह 40 से 50 दिन की अवधि वाली क़िस्म है, जिसे गर्मी और बारिश दोनों ही मौसम में ऊगा सकते है | इस क़िस्म का औसतन उत्पादन 115 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है |
  4. Cowpea 88
    इस क़िस्म को उगाने के लिए पूरे देश में सिफारिश की जाती है | इसे बीज और हरे चारे के उत्पादन के उद्देश्य हेतु बोया जाता है | इसमें निकलने वाली फली लंबी मोटे बीज वाली गुलाबी रंग की होती है | लोबिया की इस क़िस्म में एंथ्राक्नोस और पीला चितकबरा रोग नहीं लगता है | इसके एक एकड़ के खेत से 4.5 क्विंटल बीज और 110 क्विंटल तक हरे चारे का उत्पादन मिल जाता है |
  5. CL 367
    इस क़िस्म को बीज और चारे दोनों के ही उत्पादन के लिए बोया जाता है | इसमें निकलने वाले बीज छोटे और ग्रे रंग के होते है | यह क़िस्म एंथ्राक्नोस और पीला चितकबरा रोग रहित होती है | लोबिया की यह क़िस्म प्रति एकड़ के खेत से 4.8 क्विंटल दाने और 107 क्विंटल का हरा चारे का उत्पादन दे देती है |

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(Barbarity Farming) लोबिया के बीजो की बुवाई (Cowpea Seed Sowing)

(Barbarity Farming) लोबिया के बीजो की बुवाई के लिए अप्रैल से जुलाई का महीना सबसे उचित होता है | इस दौरान बीजो की रोपाई कर दी जाती है | इन बीजो को खेत में पंक्तियों में लगाना होता है, जिसमे प्रत्येक पंक्ति के मध्य 31 CM और बीजो को 16 CM के फासले पर लगाते है | इन बीजो को भूमि में 4 से 5 CM की गहराई में लगाना होता है |

(Barbarity Farming) बीजो की बुवाई के लिए पोरा ड्रिल या बिजाई मशीन का इस्तेमाल करते है | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 22 से 26 KG बीजो की जरूरत होती है, तथा इन बीजो को बुवाई से पहले कार्बेनडाज़िम 52% डब्लयू पी 3 ग्राम या एमीसान-6 2.6 GM की मात्रा से उपचारित कर ले |

लोबिया के खेत(Barbarity Farming) में उवर्रक (Cowpea Field Fertilizer)

(Barbarity Farming) लोबिया के खेत में पहली सिंचाई के पश्चात् 15 से 13 टन सड़ी गोबर की खाद के साथ 2.6 KG ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल किया जाता है | इसके बाद जब बीजो की बुवाई की जाती है, तो उस दौरान खेत में 26 KG यूरिया, 12 KG कार्बोफुरान, 25 KG पोटाश, 40 KG DAP और 5 KG जायम का छिड़काव किया जाता है | इसके बाद जब फसल 30 से 36 दिन की हो जाती है, तो 5 KG जायम और 28 KG यूरिया का छिड़काव प्रति एकड़ के खेत में करते है |

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लोबिया फसल(Barbarity Farming)  की सिंचाई व् खरपतवार नियंत्रण (Cowpea Crop Irrigation and Weed Control)

v लोबिया के खेत में बुवाई के पश्चात् बीज अंकुरण के लिए कम सिंचाई की जरूरत होती है, तथा जाड़ा के मौसम में तापमान बढ़ने पर 11 से 13 दिन के अंतराल में सिंचाई करे | बीज बुवाई के पश्चात् 31 से 36 दिन तक खेत में खरपतवार बिल्कुल न होने दे | इसके लिए खेत में खरपतवार दिखाई देने पर निराई-गुड़ाई की जाती है | इसके अलावा फसल को नदीनों से सुरक्षित रखने के लिए पैंडीमैथालीन 760 मि.ली. की मात्रा को 210 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव 25 घंटो के अंदर करे |

(Barbarity Farming) लोबिया फसल के रोग व उपचार (Cowpea Crop Diseases and Treatment)

  • तेला और काला चेपा :- लोबिया की फसल में इस किस्म का रोग दिखाई देने पर प्रति एकड़ के खेत में मैलाथियॉन 51 ई सी 202 ML की मात्रा को 81-105 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव करे |
  • बालों वाली सुंडी :- यह एक कीट रोग होता है, जो सितम्बर से नवंबर माह के मध्य में फसल पर आक्रमण करता है | लोबिया की फसल को इस कीट रोग से बचाने के लिए सेसामम बीजो को लोबिया के चारो और पंक्ति में छिरकाव करना होता है।
  • बीज गलन और पौध नष्ट :- इस तरह की बीमारी बीजो में माइक्रोफलोरा रोग की वजह से फैलती है, तथा प्रभावित बीज सिकुड़ जाते है, और रंगहीन हो जाते है | इस रोग से प्रभावित बीज अंकुरण से पहले शुरुआत में ही ख़त्म हो जाते है, और फसल भी काफी कम मात्रा में प्राप्त होती है | इस रोग से बचाव के लिए बीजो को एमीसन-6@ 2.6 GM या बवास्टिन 51 डब्लयु पी 3 GM की मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज उपचारित किए जाते है |
  • माहू रोग :- यह छोटे आकार वाले कीड़े होते है, जो पौधों की मुलायम शाखाओ, पत्तियों, फल व फलो का रस चूसकर लाभ नहीं होने देती है | जिससे पौधा कमजोर हो जाता है, और प्रगति करना बंद कर देता है | इसमें पौधों को प्रकाश का संश्लेषण करने में परेशानी होती है, जिस वजह से फली की उपज और गुणवत्ता दोनों ही नष्ट होती है | इस तरह के कीड़े रोग पर नियंत्रण पाने के लिए डाईमेथोएट 31 EC या मिथाइल ओ डिमेटान 26 EC की 1.26 लीटर की मात्रा को 610 से 820 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव प्रति हेक्टेयर की दर से करे| इसके अलावा बाज़ारो में उपलब्ध नीम कीट नाशको का भी इस्तेमाल कर सकते है |
  • फली छेदक रोग :- लोबिया की फसल में इस तरह का कीट रोग फलियों में घुसकर कच्चे बीजो को पचाकर फसल को नष्ट कर देते है | यह कीट देखने में बैंगनी रंग के होते है | इन कीटो पर नियंत्रण पाने के लिए रीनोक्सीपायर या फ्लुबैंडमाइड की 0.6 ML की मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव किया जाता है | यदि फसल रोग से अधिक प्रभावित है, तो सभी फूलो पर फली आने से पहले पहला छिड़काव करे और फली बनने के दौरान दूसरा छिड़काव करे | दवा का छिड़काव करने के 110 दिन तक फलियों को खाने के लिए बिल्कुल न तोड़े | इसके अलावा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 12 क्विंटल नीम की खली का इस्तेमाल भी कीट नियंत्रण के लिए कर सकते है |

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(Barbarity Farming) लोबिया के फसल की कटाई और पैदावार (Cowpea Harvesting and Yield)

(Barbarity Farming) लोबिया की फसल 65 से 70 दिन पश्चात् कटाई के लिए तैयार हो जाती है | जब इसकी फलियों का रंग आकर्षक दिखाई देने लगे उस दौरान फसल की कटाई कर ले | एक एकड़ के खेत से तक़रीबन 41 से 52 क्विंटल का उत्पादन मिल जाता है, जिसका बाज़ारी भाव 2 हज़ार से लेकर 4 हज़ार रूपए प्रति क्विंटल होता है | किसान भाई लोबिया की एक बार की फसल से 42 हज़ार से लेकर 75 हज़ार तक की कमाई कर लेते है |

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