कपास (Cotton) के भाव से सम्बंधित जानकारी
कॉटन रेट टुडे: सफ़ेद सोने के रूप में उगाई जाने वाली कपास मालवेसी कुल का पौधा होता है | कपास का इस्तेमाल रुई तैयार करने के लिए किया जाता है | भारत में सबसे अधिक कपास का उत्पादन गुजरात राज्य में होता है | किसान भाई मंडियों में कपास को बेचकर मुनाफा कमाते है| इस समय कपास के भाव में प्रतिदिन 250 से 370 रूपए का उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है |
पिछले दिनों की तुलना में आज के कपास के भाव में बढ़त देखने को मिली है, तथा देश की अलग-अलग मंडियों को कपास के भाव में बढ़ोतरी हुई है| यहाँ पर आपको कपास का भाव 2024 तथा देश की मंडियों में आज का कपास का भाव क्या है, की विशेष जानकारी दी जा रही है|
कपास का भाव 2024 (Cotton Price 18 August )
आज के दिन में कपास का बाज़ारी भाव 6365 से 8500 रूपए तक देखा गया है| भारत सरकार ने 2024-25 में कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाते हुए भाव को तय किया है| इसमें मध्यम रेशे वाले कपास के मूल्य को 5515 से बढ़ाकर 5726 रूपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशे वाले कपास को 6825 से बढ़ाकर 6925 रूपए प्रति क्विंटल का भाव रखा गया है| इच्छुक किसान इस सरकारी भाव पर कपास को बेच सकते है|
भारत में कपास का उत्पादन (Cotton Production in India)
भारत में कपास का उत्पादन काफी अधिक होता है, जिस वजह से यह विश्व में कपास उत्पादन के मामले में दूसरे पायदान पर है | देश में तक़रीबन 6 मिलियन टन कपास का उत्पादन प्रति वर्ष किया जाता है, जो विश्व कपास उत्पादन का 23% है |
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देश की मंडियों में कपास का वर्तमान भाव |
कपास की प्रमुख मंडिया | कपास का भाव |
हरियाणा की रोहतक मंडी | 5,520 रूपए प्रति क्विंटल |
ऐलनाबाद कपास की मंडी | 6,560 रूपए प्रति क्विंटल |
जामनगर मंडी | 5,960 रूपए प्रति क्विंटल |
भावनगर मंडी | 5,950 रूपए प्रति क्विंटल |
फतेहाबाद – हरियाणा मंडी | 6,570 रूपए प्रति क्विंटल |
आंध्रप्रदेश मंडी | 4,950 रूपए प्रति क्विंटल |
हिसार मंडी | 4,550 रूपए प्रति क्विंटल |
महाराष्ट्र मंडी | 6,000 रूपए प्रति क्विंटल |
गोंडल मंडी | 5,000 रूपए प्रति क्विंटल |
गुजरात अमरेली मंडी | 6,010 रूपए प्रति क्विंटल |
भेसान मंडी | 5,950 रूपए प्रति क्विंटल |
हरियाणा मेहम कपास मंडी | 5,510 रूपए प्रति क्विंटल |
आदमपुर कपास मंडी | 5,550 रूपए प्रति क्विंटल |
रतिया मध्यम कपास मंडी | 5,580 रूपए प्रति क्विंटल |
राजकोट मंडी | 5,000 रूपए प्रति क्विंटल |
धोराजी मंडी | 5,920 रूपए प्रति क्विंटल |
महुवा स्टेशन रोड गुजरात मंडी | 5,040 रूपए प्रति क्विंटल |
हरियाणा की सिरसा मंडी (मध्यम कपास) | 4,540 रूपए प्रति क्विंटल |
आज के समय में नरमा की खेती सावधानी (Narma Cultivation of Caution)
इन दिनों कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का रोग अधिक देखने को मिलता है | इस गुलाबी सुंडी के रोग ने पिछले वर्ष की फसल को अधिक हानि पहुंचाई थी, जिसका असर पैदावार में देखने को मिला था, और किसानो को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा था | खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली यह एक प्रमुख नगदी फसल है | यदि इस दौरान फसल में रोग का प्रकोप दिखाई देता है, तो कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर उचित कीटनाशक का उपयोग करे |
कपास का अंतरष्ट्रीय भाव तथा विशेषता |
कपास का अंतर्राष्ट्रीय भाव (कीमत) और उसकी विशेषताएँ विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे कि उत्पादन, मांग, मौसम, और वैश्विक बाजार की स्थिति। कपास की कीमतें समय-समय पर बदलती रहती हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इसका मूल्य अमेरिकी डॉलर में उद्धृत होता है।
कपास के अंतर्राष्ट्रीय भाव (कीमतें):
कपास की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज (NYCE) और अन्य वैश्विक कमोडिटी एक्सचेंजों में निर्धारित होती हैं। इसके भाव क्विंटल या पाउंड के आधार पर तय किए जाते हैं। कपास की कीमतें मौसम पर भी निर्भर करती हैं। यदि किसी देश में कपास की पैदावार अच्छी होती है, तो उसके अंतर्राष्ट्रीय भाव कम हो सकते हैं, और अगर पैदावार में कमी होती है तो भाव बढ़ सकते हैं।
वैश्विक स्तर पर कपास की मांग और आपूर्ति भी इसकी कीमतों को प्रभावित करती है। यदि किसी कारण से कपास की मांग बढ़ जाती है, जैसे कि कपड़ा उद्योग में वृद्धि, तो कीमतें बढ़ सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियाँ, सब्सिडी, और वैश्विक आर्थिक स्थिति जैसे कारक भी कपास के अंतर्राष्ट्रीय भावों को प्रभावित कर सकते हैं।
कपास की विशेषताएँ:
कपास की गुणवत्ता उसकी फाइबर की लंबाई, मजबूती, और शुद्धता पर निर्भर करती है। बेहतर गुणवत्ता वाली कपास की कीमत आमतौर पर अधिक होती है। कपास के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कि पिमा कॉटन, सी आइलैंड कॉटन, और उरद कॉटन। पिमा और सी आइलैंड कॉटन को सबसे बेहतर गुणवत्ता वाला माना जाता है। कपास का उपयोग मुख्य रूप से वस्त्र निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा, यह तेल उत्पादन, कागज़, और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में भी उपयोग होता है।
कपास की खेती में बहुत सारा पानी और कीटनाशकों का उपयोग होता है, जो पर्यावरण पर प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, अब ऑर्गेनिक कपास की मांग बढ़ रही है, जिसमें इन हानिकारक तत्वों का उपयोग कम किया जाता है। कपास का उत्पादन मुख्य रूप से भारत, चीन, अमेरिका, और पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों में होता है, जहां कृषि का बड़ा हिस्सा इस पर निर्भर करता है।
कपास एक प्रमुख निर्यात वस्तु है, और इसका व्यापार वैश्विक रूप से होता है। इसके भाव और मांग में परिवर्तन सीधे तौर पर कई देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। कपास की फसल को धुनाई, स्पिनिंग, और वियाइंग जैसी प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है, जिससे इसे बाजार में बेचने के लिए तैयार किया जाता है। कपास को प्रतिस्पर्धा का सामना भी करना पड़ता है, जैसे कि सिंथेटिक फाइबर (पॉलिएस्टर) जो कि कपास का एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी है और कपास की मांग को प्रभावित कर सकता है।
इन विशेषताओं और कारकों के आधार पर कपास की कीमतें और उसकी मांग में उतार-चढ़ाव होता रहता है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और उत्पादन को प्रभावित करता है।
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