मूली की खेती(Radish Framing), कैसे की जट्टी है, कितने है प्रकार, मुनाफा और लोस्स

मूली की खेती(Radish Framing), कैसे की जाती है, कितने है प्रकार, मुनाफा और लोस्स

 

मूली की खेती (Radish Farming)

(Radish Framing)मूली की फसल कच्ची सलाद के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उगाई जाती है | इसकी खेती कंद सब्जी के रूप में की जाती है | मूली का सेवन अधिकतर कच्चे सलाद के रूप में करते है | कच्ची मूली का सेवन करने से पेट सम्बंधित समस्याओ से राहत मिल जाता है | इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सलाद, सब्जी और पराठा को बना कर किया जाता है | मूली की फसल कम समय और कम लागत तथा कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है | इसलिए यह किसानो के लिए अधिक मुनाफे वाली खेती है | इसकी फसल को एक ही सीजन में दो बार प्राप्त किया जा सकता है |

(Radish Framing)मूली की फसल बीज रोपाई के तीन माह बाद पककर तैयार हो जाती है | किसान भाई मूली की फसल को आलू, सरसों, गन्ना, मेथी, जो और गेहूं की फसल के साथ भी बिना मेहनत के ऊगा सकते है | यदि आप भी मूली की खेती कर अच्छा लाभ कमाना चाहते है, तो इस पोस्ट में आपको मूली के खेती के बारेम में संपूर्ण जानकारी देने वाला हु।

(Radish Framing) मूली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Radish Cultivation Suitable soil, Climate and Temperature)

(Radish Framing) मूली की खेती में रेताली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, इसके अलावा भूमि अच्छी जल-निकासी वाली होनी चाहिए | मूली की खेती में 7 से 8 के मध्य भूमि का P.H. मान होना चाहिए | ठंडी जलवायु मूली की फसल के लिए काफी उपयोगी होती है | इसके पौधे सर्दियो में गिरने वाले पाले को भी आसानी से सहन कर लेते है, तथा अधिक गर्मियों के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकसित नहीं कर पाते है |

इसके बीजो को अंकुरण के लिए 21 डिग्री तापमान तथा पौधों के विकास के समय 11 से 15 डिग्री के तापमान आवश्यकता होती है | मूली के पौधे न्यूनतम 6 डिग्री और अधिकतम 24 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है | इससे अधिक तापमान होने पर फलो की गुणवत्ता में कमी आ जाती है |

(Radish Framing) मूली की उन्नत किस्में (Radish Improved Varieties)

मूली की कई देशी और विदेशी अच्छे किस्मे बाज़ार में मौजूद है, जिन्हे कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए उगाया जाता है |

(Radish Framing) जापानी सफ़ेद

(Radish Framing) इस क़िस्म के पौधों को तैयार होने में 5१ से 60 दिन का समय लगता है | इसके पौधे एक से डेढ़ फ़ीट तक लम्बे होते है | यह स्वाद में कम तीखी होती है | इस क़िस्म के पौधे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 251 से 300 क्विंटल की पैदावार देते है |

मूली की खेती(Radish Framing), कैसे की जट्टी है, कितने है प्रकार, मुनाफा और लोस्स

(Radish Framing)रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड

(Radish Framing) मूली की इस क़िस्म के पौधों को तैयार होने में 26 से 30 दिन का समय लग जाता है, यह अधिक तेजी से पैदावार देने वाली क़िस्म है | जिसमे निकलने वाले फलो का रंग सफ़ेद और गुलाबी होता है | रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड क़िस्म के पौधे एक ही मौसम में कई बार जन्म देते है |

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(Radish Framing) हिसार न. 1

(Radish Framing) मूली की इस क़िस्म के पौधों को भारत के उत्तरी मैदानी राज्यों में उगाने के लिए तैयार किया गया है | इसमें निकलने वाले पौधों की जड़े सीधी और बड़ी पाई जाती है, जिसका बाहरी छिलका चिकना और सफ़ेद होता है | इस क़िस्म की मूली के स्वाद में मीठापन पाया जाता है | इसके पौधे रोपाई के 52 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है, जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 252 क्विंटल तक होता है |

(Radish Framing) इसके अलावा भी मूली की कई अच्छे किस्मों को अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया है, जो इस प्रकार है- पूसा हिमानी, पूसा चेतकी, पूसा देशी, पूसा रेशमी, पूसा चेतकी, पंजाब पसंद, पंजाब अगेती, व्हाईट आइसीकिल, व्हाईट लौंग, सकुरा जमा, के एन- 1, जौनपुरी मूली, फ्रेंच ब्रेकफास्ट और स्कारलेट ग्लोब आदि |

(Radish Framing) मूली की फसल के लिए खेत की तैयारी (Radish Harvest Field Preparation)

(Radish Framing) मूली की खेती में बीजो की रोपाई से पहले खेत को तैयार कर लेना चाहिए | इसके लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हेलो से खेत गहरी जुताई कर देनी चाहिए, इससे पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है | इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के तौर पर 16 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होता है | खाद डालने के बाद कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन तिरछी जुताई कर मिट्टी में खाद को अच्छी तरह से मिला दिया जाता है |

इसके बाद खेत में पानी लगा कर पलेव कर दे | इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तब मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए रोटावेटर से खेत में जुताई करवा दे |

(Radish Framing) इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है, जिससे खेत में जलभराव जैसी समस्या नहीं होती है | इसके बीजो की रोपाई मेड़ पर की जाती है, इसलिए खेत के समतल हो जाने के बाद एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी रखते हुए मेड़ो को तैयार कर लिया जाता है | मूली के खेत में रासायनिक खाद को देने के लिए खेत की आखरी जुताई के बाद उसमे 55 KG सुपर फास्फेट, 105 KG पोटाश और 100 KG नाइट्रोजन की मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दे | इसके अतिरिक्त पौधों की जड़ो को बीज रोपाई के एक महीने बाद 21 से 26 KG यूरिया की मात्रा देनी चाहिए |

(Radish Framing) मूली के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Radish Seeds Sowing Right time and Method)

(Radish Framing) मूली के बीजो की रोपाई समतल और मेड़ दोनों प्रकार की भूमि में कर सकते है | समतल भूमि में रोपाई करने के लिए ड्रिल विधि का इस्तेमाल किया जाता है, तथा बीजो की रोपाई के समय प्रत्येक बीज के मध्य में 6 CM की दूरी रखी जाती है | इसके अतिरिक्त यदि मूली के बीजो की रोपाई मेड़ पर हाथ द्वारा की जाती है, तो प्रत्येक बीज के मध्य 6 CM की दूरी अवश्य रखे | इसके अलावा कुछ किसान भाई बीजो की रोपाई छिड़काव विधि द्वारा भी करते है |

(Radish Framing) मूली के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Radish Plant Diseases and their Prevention)

(Radish Framing) माहु रोग

(Radish Framing) इस क़िस्म का रोग कीट के रूप में समूह बनाकर पौधों की पत्तियों पर अटैक करता है | इसके कीट आकार में अधिक बड़े नहीं होते है, जो पत्तियों का रस चूस कर उन्हें पीला कर देते है | इस क़िस्म के रोग का प्रभाव अक्सर मौसम परिवर्तन के दौरान देखने को मिलता है | मैलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर कर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |

(Radish Framing) बालदार सुंडी

(Radish Framing) यह बालदार सुंडी रोग पौधों पर किसी भी अवस्था में लग सकता है | इस क़िस्म के रोग का कीट पौधों की पत्तियों को खाकर उन्हेंबर्बाद कर देता है | जिससे पौधे अपना भोजन नहीं खा पाते है, और उनका विकास पूरी तरह से रुक जाता है | क्विनालफॉस या सर्फ की उचित मात्रा का छिड़काव करने से इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |

(Radish Framing) झुलसा रोग

(Radish Framing) इस क़िस्म का रोग पौधों पर जनवरी और मार्च के महीने में आक्रमण करता है | झुलसा रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर काले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है | रोग बढ़ने की स्थिति में यह पूरी पत्ती पर फ़ैल जाता है | मैन्कोजेब या कैप्टन दवा की उचित मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करने से इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |

(Radish Framing) काली भुंडी का रोग

(Radish Framing) यह काली भुंडी रोग पौधों की पत्तियों पर कीट के रूप में आक्रमण करते है | यह कीट रोग पौधों की पत्तियों को खाकर उसे पूरी तरह से नष्ट कर देता है | जिससे पौधा भोजन नहीं ग्रहण कर पाता है, और कुछ ही समय सूख कर नष्ट हो जाता है | इस रोग से पौधों को बचाने के लिए 12 से 14 दिन के अंतराल में मैलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करे |

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