गन्ने की खेती, मुनाफा Sugarcane cultivation
Sugarcane cultivation गन्ने के खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है । ग्रीष्म में मिट्टी पलटने वाले हल सें दो-टिन बार आड़ी व खड़ी जुताई करें । November माह के दूसरे सप्ताह में बखर से जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लें तथा पाटा चलाकर समतल कर लें । रिजर की सहायता से 4 फुट की दूरी पर नालियां बना लें। परंतु Sugarcane cultivation वसंतु ऋतु में लगाये जाने वाले ( फरवरी – मार्च) गन्ने के लिए नालियों का अंतर 3 फुट रखें । अंतिम बखरनी के समय भूमि को लिंडेन 3% पूर्ण 13 किलो प्रति एकड़ से उपचारित अवश्य करें।
बोने का सही समय Sugarcane cultivation
Sugarcane cultivation गन्ने की अधिक पैदावार लेने के लिए कुहरे वाले महीना, सर्वोत्तम समय नवम्बर है । इसके अलावा आप बसंत ऋतू यानि फरवरी-मार्च में चाहिए। बीज की मात्रा एवं बोने की विधिगन्ने के लिए 105-135 क्वि0 बीज या लगभग 1 लाख 26 हजार आंखें हेक्टर गन्ने के छोटे छोटे टुकडे इस तरह कर लें कि प्रत्येक टुकड़े में तीन या चार आंखें हों । इन टुकड़ों को कार्बेंन्डाजिम-3 ग्राम प्रति लीटर के घोल में 17 से 22 मिनट तक डुबाकर कर रखें। इसके बाद टुकड़ों को नालियों में रखकर मिट्टी से भर दे। एवं सिंचाई कर दें या सिंचाई करके हलके से नालियों में टुकड़ों को दबा दें ।
अन्तवर्तीय फसल Sugarcane cultivation
Sugarcane cultivation अक्टूबर नवंबर में 95 से.मी. पर निकाली गई गरेड़ों में गन्ने की फसल बोई जाती है । साथ ही मेंढ़ों के दोनो ओर प्याज,लहसुन, आलू राजमा या सीधी बढ़ने वाली मटर अन्तवर्तीय फसल के रूप में लगाना बिलकुल सही माना जाता है । इससे गन्ने की फसल को कोई छति नहीं होती । Sugarcane cultivation इससे 16000 से 110000 रूपये का अतिरिक्त लाभ होगा। वसंत ऋतु में गरेडों की मेड़ों के दोनों ओर मूंग, उड़द लगाना लाभप्रद है । इससे 2005 से 2900 रूपये प्रति एकड़ अतिरिक्त लाभ मिल जाता है।
Sugarcane cultivation उर्वरकगन्ने में 400 कि. नत्रजन (640 किलो यूरिया), 85 किलो स्फुर, (600 कि0 सुपरफास्फेट) एवं 95 किलो पोटाश (160 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति हेक्टर दे। Sugarcane cultivation स्फुर व पोटाश की पूरी मात्रा बोनी के पूर्व गरेडों में आवश्कयता अनुसार देना चाहिए। Sugarcane cultivation नत्रजन की मात्रा November में बोई जाने वाली फसल के लिए संभागों में बांटकर अंकुरण के समय, कल्ले निकलते समय हल्की मिट्टी चढ़ाते समय एवं भारी मिट्टी चढ़ाते समय दो बार दिया करें और समय समय पर देख रेख करा करे।
Sugarcane cultivation दें फरवरी में बोई गई फसल में 4 बराबर भागों में अंकुरण के समय हल्की मिट्टी चढ़ाते समय एवं भारी मिट्टी चढ़ाते समय दें । Sugarcane cultivation गन्ने की फसल में निट्रीजें की मात्रा की पूर्ति गोबर की खाद या हरी खाद से करना काफी लाभदायक होता है।
निंदाई गुड़ाईबोनी के लगभग 5 माह तक खरपतवारों की रोकथाम आवश्यक होती है। इसके लिए 4-5 बार निंदाई करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए अट्राजिन 160 ग्राम प्रति एकड़ 325 लीटर पानी में घोलकर अंकुरण के पूर्व छिड़काव करें । बाद में ऊगे खरपतवारों के लिए 2-4 डी सोडियम साल्ट 400 ग्राम प्रति एकड़ 335 ली पानी में घोलकर छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में नमी होना आवश्यक है।
Sugarcane cultivation मिट्टी चढ़ाना गन्ने को गिरने से बचाने के लिए रीजर की सहायता से मिट्टी चढ़ाना चाहिए सितम्बर- अक्टूबर में बोई गई फसल में प्रथम मिट्टी मार्च-अप्रैल में तथा अंतिम मिट्टी मई माह में चढ़ाना चाहिए । Sugarcane cultivation कल्ले फूटने के पहले मिट्टी नहीं चढ़ाना चाहिए।
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सिंचाई शीतकाल में 16 दिन के अंतर पर एवं गर्मी में 9-10 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। सिंचाई सर्पाकार विधि से करें। Sugarcane cultivation सिंचाई की मात्रा कम करने के लिए गरेड़ों में गन्ने की सूखी पत्तियों की 7-8 मोटी बिछावन बिछायें । गर्मी में पानी की मात्रा कम होने पर एक गरेड़ छोड़कर पानी also डालें।
खड़े गन्नें न गिरे इसके लिए कतारों के गन्ने की झुंडी को गन्ने की सूखी पत्तियों से बांधना चाहिए। यह कार्य सितम्बर के माह में करनी चाहिए।
गन्ने की पेड़ी
कृषक गन्ने की पेड़ी फसल पर विशेष ध्यान नहीं देते, फलस्वरूप इसकी उपज नहीं प्राप्त होती है। Sugarcane cultivation यदि पेड़ी फसल में भी योजनाबध्द तरीके से कृषि कार्य किये जावें तो इसकी उपज भी मुख्य फसल के बराबर और लाभ प्राप्त की जा सकती है। Sugarcane cultivation पेड़ी फसल से अधिक उपज लेने के लिए अनुशंसित कृषि माला अपनाना चाहिए। Sugarcane cultivation मुख्य गन्ना फसल के बाद बीज टुकड़ों से ही पुन: पौधे विकसित होते हैं जिससे तीसरे वर्ष फसल प्राप्त होती है।
इसी प्रकार तीसरे साल भी फसल ली जा सकती है । Sugarcane cultivation बाद पेड़ी फसल लेना हानिकारक बताया जाता है। यहां ये सर्वविदित है कि रोग कीट रहित मुख्य फसल से ही भविष्य की पेड़ी फसल से अधिक उपज ली जा सकती है। चूंकि पेड़ी फसल बिना बीज की व्यवस्था तथा बिना विशेष खेत की तैयारी के ही तैयार की जाती है। इसलिए इसमें लागत बहुत कम लगती है। साथ ही पेड़ी की फसल मुख्य फसल अपेक्षा जल्द पक कर तैयार हो जाती है। इसके गन्ने के रस में फ्रुक्टोज भी अधिक होती है।
किस्में Sugarcane cultivation
Sugarcane cultivation मुख्य फसल की कटाईमुख्य फसल को फरवरी-मार्च में काटे फरवरी पूर्व कटाई करने से कम तापमान होने के कारण फुटाव ज्यादा नहीं होंगे तथा पेड़ी फसल में कल्ले कम प्राप्त होंगें। कटाई करते समय गन्ने को जमीन की सतह से कटा जाना चाहिए। इससे स्वस्थ तथा अधिक कल्ले प्राप्त होंगे। ऊंचाई से काटने से ठूंठ पर कीट व्याधि की प्रारंभिक अवस्था में प्रकोप की संभावना बढ़ जाती हैं। जड़े भी आगे से निकलती है, जो कि बाद मे गन्ने के वजन को नहीं संभाल पाती।
मुख्य फशल की कटाई
Sugarcane cultivation खेत की सफाईजीवांश खाद बनाने के लिए पिछली फसल की पत्तियों व अवशेषों को कम्पोस्ट गड्डे में डालें ।
कटी सतह को समतल बनाना
Sugarcane cultivation कटी सतह पर उपचारकटे हुए ठूंठों पर कार्बेन्डाइजिम 560 ग्राम 240 ली.पानी में घोल कर झारे की सहायता से कटे हुए सतह पर छिड़कें इससे कीटव्याधि संक्रमण से राहत होगा।
खाली जगह भरना
Sugarcane cultivation खाली जगह भरनाखेत में खाली स्थान का रहना ही कम पैदावार का कारण हैं। अत: जो जगह 2 फुट से अधिक खाली हो वहां नये गन्ने के उपचारित टुकड़े लगाकर सिंचाई कर दें ।
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