शंखपुष्पी की खेती

शंखपुष्पी की खेती कैसे होती है? लाभ तथा हानि ।

शंखपुष्पी की खेती कैसे होती है?

शंखपुष्पी, जिसे आमतौर पर शंखपुष्पी या शंखपुष्पी बूटी भी कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि इसमें कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। शंखपुष्पी की खेती के लिए निम्नलिखित कथन उपयुक्त हो सकते हैं:

शंखपुष्पी की खेती के लिए सही बीजों का चयन करें। बीजों को विशेषज्ञ बागवानी विभाग से प्राप्त करें या प्लेस्टिक मुद पॉट में उगाएं जो बीजों को नर्सरी से बाहर निकालने के लिए उपयुक्त होता है। शंखपुष्पी के बीजों को बुआई के लिए उपयुक्त खेत में बोएं। बुआई का समय विशेषज्ञ से पूछें ताकि आप सही समय पर बुआई कर सकें। बुआई से पहले, खेत को अच्छे से तैयार करें। जमीन में उर्वरकों की आवश्यकता हो सकती है, जो खाद्य सामग्री को बढ़ाने में मदद करेगा।

शंखपुष्पी पौधों को सिंचाई के लिए अच्छी तरह से देखभाल करें। यह धूप तोल सकता है, लेकिन इसे पुरे दिन में आधिक समय धूप में रखना उपयुक्त है। शंखपुष्पी की खेती के लिए उचित उर्वरकों का उपयोग करें ताकि पौधों को आवश्यक पोषण मिल सके।

शंखपुष्पी के पौधों को रोगों और कीटों से बचाने के लिए पौध रोगनाशकों और कीटनाशकों का उपयोग करें। शंखपुष्पी पौधों को विशेषज्ञ के साथ सही तरीके से काटा-प्रुनिंग करें। इससे पौधों का सही स्वरूप बना रहेगा और उन्हें अधिक फल और पुष्प मिलेगा।

अगर आप बड़ी स्केल पर शंखपुष्पी की खेती कर रहे हैं, तो आपको बाजार में मूल्यों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि आप अच्छा मूना पा सकें। शंखपुष्पी की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए स्थानीय बागवानी विभाग के साथ सहयोग करें और अच्छी तरह से खेती के तकनीकों को सीखें।

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शंखपुष्पी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान:

शंखपुष्पी की अच्छी फसल के लिए अधिक उपजाऊ और हल्की रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसके अतिरिक्त अच्छी जल निकासी वाली भूमि का होना भी आवश्यक है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिए | शंखपुष्पी की अच्छी उपज के लिए समशीतोष्ण जलवायु को इसकी खेती के लिए उचित माना जाता है |

बारिश के मौसम को इसकी फसल के लिए उपयुक्त माना जाता है, किन्तु अधिक गर्मी और सर्दियों के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास नहीं कर पाते है |

इसके पौधों के अंकुरण के लिए आरम्भ में 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | इसके बाद पौधों के विकास करने के दौरान 25 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | शंखपुष्पी के पौधे न्यूनतम 10 डिग्री तथा अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है | इससे कम या अधिक तापमान पौधे के विकास को प्रभावित करता है |

शंखपुष्पी (Shankhpushpi) की उन्नत किस्में प्रजातियों में कई प्रकार होती हैं, जो अलग-अलग भूखण्डों और उपकुलों में पाई जा सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख शंखपुष्पी की उन्नत प्रजातियां हैं:

Convolvulus pluricaulis (शंखपुष्पी):

यह प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भूखण्डों में पाई जाती है और शंखपुष्पी के रूप में लोकप्रिय है। इसकी पत्तियाँ छोटी, गोल, और हरित होती हैं। इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग के लिए जाना जाता है, खासकर मेमोरी और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए।

Convolvulus microphyllus (शंखपुष्पी):

यह भी एक प्रमुख शंखपुष्पी प्रजाति है जो भारत में पाई जाती है। इसके पत्तियाँ लम्बी और बारीक होती हैं। इसका उपयोग भी मानसिक स्वास्थ्य और बुद्धिमत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Clitoria ternatea (अपराजिता):

इसे शंखपुष्पी के रूप में भी जाना जाता है और यह भी भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। इसके फूल नीले रंग के होते हैं और इसकी पत्तियाँ भी चिकित्सा में उपयोग होती हैं।

Evolvulus alsinoides (शंखपुष्पी):

इस प्रजाति को भी शंखपुष्पी के रूप में जाना जाता है और यह भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है।
यह सभी प्रजातियाँ अपनी-अपनी विशेषताओं और गुणों के लिए जानी जाती हैं और उन्हें स्वास्थ्य संबंधित लाभ प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है। शंखपुष्पी की उन्नत किस्मों का चयन करने से पहले, आपको अपने क्षेत्र की भूमि, जलवायु, और अन्य स्थानीय चरित्रिक तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए।

शंखपुष्पी की कीमत (ShankhpushpiPrice)

शंखपुष्पी के पौंधों को तैयार होने में तक़रीबन 4 से 5 महीने का समय लगता है | इस दौरान इसमें फूलो का विकास अच्छे से हो जाता है, फूलो के विकास के एक महीने बाद दिसंबर के महीने में पौधों की फलियों पर दाने बन कर तैयार हो जाते है | इसके बाद जनवरी के माह तक पौधा पूर्ण रूप से विकसित होकर कटाई के लिए तैयार हो जाता है |

इसके पौधों को खेत से जड़ सहित निकाला जाता है | इसके बाद उन्हें हल्की धूप में सूखा लिया जाता है | सूखाने के बाद उन्हें बाजार में बेचने के लिए तैयार कर दिया जाता है | शंखपुष्पी का बाज़ारी भाव 3,000 रूपए के आसपास होता है,जिस हिसाब से किसान भाई शंखपुष्पी की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है |

शंखपुष्पी की खेती से लाभ:

शंखपुष्पी की खेती से किसानों को कई तरह के लाभ हो सकते हैं, जो इसे अच्छे ढंग से उगाने और देखभाल करने पर निर्भर करते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभ हैं:

आर्थिक लाभ:

शंखपुष्पी की खेती से आर्थिक लाभ हो सकता है, क्योंकि इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में बढ़ रहा है और इसे औषधि के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यह बाजार में बिक्री के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और किसानों को अच्छा मुनाफा प्रदान कर सकता है।

स्वास्थ्य लाभ:

शंखपुष्पी की चिकित्सीय गुणों की वजह से, इसका सेवन स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। इसे मेमोरी बढ़ाने, मानसिक तनाव कम करने, और शारीरिक और मानसिक कमजोरी को दूर करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

प्रदूषण और वातावरण के लाभ:

वनस्पतियों की खेती वातावरण को सुधारने में मदद कर सकती है और अनेक प्रदूषणों को शांत करने में भी मदद कर सकती है। यह स्थानीय बायोडाइवर्सिटी को बढ़ावा देने का एक तरीका हो सकता है और वातावरण को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।

स्थानीय समृद्धि:

शंखपुष्पी की खेती से स्थानीय समृद्धि हो सकती है क्योंकि इससे स्थानीय किसानों को नौकरी के अवसर मिल सकते हैं और स्थानीय अर्थतंत्र को सुधारने में मदद कर सकता है।

प्राकृतिक संवेदनशीलता:

शंखपुष्पी की खेती एक प्राकृतिक और पर्यावरण-सौहार्दपूर्ण विकल्प हो सकता है जिससे अन्य विकल्पों की तुलना में प्रदूषण कम हो सकता है।
किसानों को ध्यानपूर्वक और विवेकपूर्ण तरीके से शंखपुष्पी की खेती करना चाहिए ताकि वे उचित तकनीकों का उपयोग कर सकें और सही बाजार में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकें।

शंखपुष्पी की खेती

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