(Broccoli Farming)ब्रोकली की खेती के बारे में जानकारी
(Broccoli Farming)ब्रोकली की खेती मूलतः सब्जी के रूप में की जाती है | ये गोबी देखने में बिल्कुल फूल गोभी की तरह ही होती है, किन्तु इसकी फल हरे रंग की होती है | इसलिए इसका दूसरा नाम हरी गोभी भी रखा गया है | ब्रोकली का सेवन कच्चे सलाद के रूप में भी बनाकर अधिक मात्रा में किया जाता है | इसे उबालकर तथा स्वादानुसार हल्का नमक डालकर खाना भी मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है | इस गोबी में कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते है, जिसको खाने से अनेक प्रकार कीबीमारियां भी दूर भागती है | यह फल कैंसर और हृदय रोगो के लिए राम बन मन जाता है।
(Broccoli Farming)इसके फलो में बिटमिन A, बिटमिन B 12, तथा बिटामिन D, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक और कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो शरीर की हड्डियों के लिए काफी कामगार होता है। इसके अलावा ब्रोकली में प्रोटीन की मात्रा भी उच्च लेवल का होता है। आजकल जिम ट्रेनर, जिम करने वाले लोगो को भी ब्रोकली का सेवन करने के लिए सलाह देते है | इसलिए इसका बाज़ारी भाव भी काफी लाभ वाला होता है,जिससे किसान भाई ब्रोकली की खेती कर बढ़िया कमाई भी कर सकते है |
यदि आप भी ब्रोकली की खेती करना चाहते है, तो इस लेख में आपको ब्रोकली की खेती कैसे होती है, कितनी मुनाफा होती है, कौन से जलवायु उपयुक्त रहेगा, खाद्य कितना डालें, किस मौसम में करें आदि सबके जानकारी प्रदा करेंगे।
(Broccoli Farming)ब्रोकली की खेती करने के लिए उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी की जरुरत होती है | चूँकि इसके पौधे ज्यादा ऊंचाई वाले नहीं होते है, इसलिए इसकी खेती वाली भूमि में उचित जल निकासी जरूर होनी चहिये | इसकी खेती के लिए मिट्टी का P.H. मान 7 से 8 के मध्य होना चाहिए| ब्रोकली की फसल ठंडी जलवायु वाली होती है, इसलिए इसकी खेती भारत में रबी की फसल के साथ की जाती है|
(Broccoli Farming)ब्रोकली की खेती पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मियों के मौसम में भी आसानी से अच्छे पैदावार में की जाती है | इसके पौधों को अधिक पानी की जरुरत नहीं होती है | ब्रोकली के पौधे 21 से 24 डिग्री के तापमान पर अच्छे से अंकुरित हो जाते है, तथा 21 डिग्री तापमान में इसके पौधे अच्छे से विकास करते है |
(Broccoli Farming)ब्रोकली की उन्नत किस्में (Broccoli Improved Varieties)
नाइन स्टार:- इस किस्म के पौधों को तैयार होने के लिए अधिक ठण्ड की जरुरत होती है | इसका फल तीन फ़ीट तक लम्बा होता है, जिसमे निकलने वाले फलो का रंग हल्का पीला होता है| इसके पौधों को कलम और बीज के द्वारा ऊगा सकते है| यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 102 से 122 क्विंटल का उत्पादन दे देती है|
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(Broccoli Farming)इटालियन ग्रीन स्प्राउटिंग;- यह ब्रोकली की एक विदेशी किस्म है, जिसे भारत में ज्यादा नहीं उगाया जाता है| इसके पौधों में निकलने वाले फल बिल्कुल सामान्य गोभी की तरह होते है,किन्तु इनका रंग बैंगनी होता है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 103 क्विंटल की पैदावार दे देती है |
(Broccoli Farming)ग्रीन स्प्राउटिंग:- ब्रोकली की यह किस्म 81 से 92 दिन में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है | इसके पौधों में लगने वाले फल का सिरा गुंथा हुआ और मोटा हरा होता है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 123 से 155 क्विंटल की पैदावार दे देती है |
ब्रोकोली संकर :- ब्रोकली की यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए लगायी जाती है| इसकी फसल पौध रोपाई के 61 से 66 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है | इसमें निकलने वाला फल रंग में हरा और गठीला होता है | जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 105 क्विंटल के आसपास होता है |
इसके अतिरिक्त भी ब्रोकली की कई उन्नत किस्मों को अलग-अलग जलवायु में अधिक फसल देने के लिए तैयार किया गया है, जो कि इस प्रकार है- पंजाब ब्रोकली, के टी एस 10, पालक समृद्धि, पेरिनियल, क्रुसेर, प्रिमिय क्राप, स्टिक, बाथम 30, ग्रीन हेड, केलेब्रस, पाईरेट पेकमे और क्लीपर आदि |
(Broccoli Farming)ब्रोकली के खेत की तैयारी और उवर्रक (Broccoli Field Preparation and Fertilizer)
(Broccoli Farming)ब्रोकली के खेत की आरम्भ में मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर दी जाती है | जुताई के बाद खेत को 6 -8 दिन के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है | इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के रूप में 11 से 13 गाड़ी पुरानी गोबर की जैविक खाद को डाल दिया जाता है | गोबर की खाद को खेत में डालने के बाद कल्टीवेटर द्वारा तीन से चार तिरछी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिक्स हो जाती है |
इसके कुछ दिन बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है | पलेव के कुछ दिन पश्चात् खेत की एक बार फिर से अच्छे से जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | इसके बाद पाटा लगाकर खेत को बराबर कर दिया जाता है |
(Broccoli Farming)ब्रोकली के खेत में यदि आप रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहते है, तो उसके लिए आपको प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की अंतिम जुताई के समय 2 से 4 बोरे N.P.K. की मात्रा को डालना होता है | इसके बाद पौधों की सिंचाई करते समय फूल लगने के दौरान 21 KG यूरिया की मात्रा को पौधों को दे |
ब्रोकली के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Broccoli Plants Transplanting Correct time and Method)
(Broccoli Farming)ब्रोकली के पौधों की रोपाई बीज और पौध तीनो ही रूप में की जाती है, इसके लिए बीजो को नर्सरी में रेडी कर लिया जाता है | यदि आप चाहे तो तैयार पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी खरीद सकते है, इससे आपका समय बचेगा और पैदावार भी जल्द प्राप्त होगी | किन्तु पौधे बिल्कुल स्वस्थ और एक महीने ओल्ड होने चाहिए | इन पौधों की रोपाई बराबर और मेड दोनों में ही कर सकते है|
(Broccoli Farming)ब्रोकली के पौधों की सिंचाई (Broccoli Plant Irrigation)
ब्रोकली के पौधों को 6-7 सिंचाई की ही आवश्यकता होती है | इसकी प्रारंभिक सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | इसके बाद ब्रोकली के पौधों को 12-15 दिन के अंतराल में पानी देते रहना चाहिए |
ब्रोकली के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Broccoli Plants Weed Control)
(Broccoli Farming)ब्रोकली के पौधे भूमि की सतह से थोड़ी ऊंचाई पर अच्छे से विकसित है, जिससे इसके पौधों को खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता होती है | इसके पौधों पर खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों ही विधियों का प्रयोग किया जाता है | रासायनिक विधि द्वारा पौधों पर खरपतवार नियंत्रण पाने के लिए ट्राईफ्लूरेलिन या टोक ई-25 की उचित मात्रा का छिड़काव भूमि में किया जाता है, जिससे खेत में खरपतवार न के बराबर उगते है |
(Broccoli Farming)इसके अलावा प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए पौधों की खुरपी से कम्ठान विधि द्वारा खरपतवार को निकाल दिया जाता है | इसके पौधों को केवल 5 -6 गुड़ाई की ही जरूरत होती है| इसकी प्रारभिक गुड़ाई पौध रोपाई के तक़रीबन 11 से 15 दिन बाद की जाती है | इसके बाद की रोपाई को 12 से 13 दिन के अंतराल में करना होता है |
(Broccoli Farming)ब्रोकली के फलो की कटाई पैदावार और लाभ (Broccoli Fruit Harvesting Yields and Benefits)
(Broccoli Farming)ब्रोकली के पौधे रोपाई के 61 से 82 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | जब इसके पौधों पर लगे फलो का मुख्य सिरा बनकर तैयार हो जाता है, उस दौरान इसकी कटाई कर ली जाती है | ब्रोकली के फलो की कटाई 11 से 13 CM की डंठल के साथ करनी चाहिए | इससे फल ज्यादा समय तक संरक्षित किया जा सकता है | फलो की पहली कटाई के बाद पौधों पर दूसरी शाखाएँ निकलने लगती है, जिसके बाद उन पर फिर से फल निकल आते है, किन्तु यह फल आकार में काफी छोटे होते है |
एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 82 से 105 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है | ब्रोकली का बाज़ारी भाव 31 रूपए से 52 रूपए प्रति किलो होता है | जिससे किसान भाई ब्रोकली की एक बार की फसल से 4 से 5 लाख तक की कमाई कर अधिक लाभ कमा सकते है |
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