Aeroponic technology, new way of farming, best for future, Profit & Loss

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एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Technology) की खेती

भारत देश में जिस चाल से जनसँख्या वृद्धि हो रही है। बढ़ रहे जनसंख्या से, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आगे आने वाले कुछ वर्षों में सभी के लिए भोजन उपलब्ध करा पाना एक चिंता का विषय है | इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिकों द्वारा सतत प्रयास जारी है | ऐसे में यह जरूरी है, कि खेती करनें के नए तरीकों को विकसित किया जाये और जो तकनीकें पहले से ही हैं उन्हें अपनाया जाए | ताकि भोज्य पदार्थों को बढ़ती हुई जरूरतों को पूरा किया जा सके |

इसी क्रम में अमेरिका के न्यूजर्सी में विश्व का सबसे बड़ा कृत्रिम फार्म (Artificial farm) विकसित किया गया है। वैज्ञानिक ऐसे तकनीक के बारे में सोच लिए है, जहाँ सब्जी का उत्पादन सूर्य प्रकाश, मिट्टी, जलवायु आदि के बिना उपजाया जा सके, और इसी प्रकार की खेती करनें के लिए एयरोपोनिक्स तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है | यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधौ को कोहरे और हवा वाले इनविरोमेंट में उगाया जाता है | आज इस लेख के माध्यम से हम आपलोगों को एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Technology) के खेती के बारे में बताएँगे।

एरोपोनिक तकनीक क्या है (Aeroponic Technology)

एयरोपोनिक्स टेक्निक(Aeroponic technology) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पौधौ को कोहरे और हवा वाले वातावरण में उपजाया जाता है | इस तकनीक में पौधौ को उगानें के लिए पानी, मिट्टी तथा सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता नही पड़ती है| एयरोपोनिक्स टेक्निक में पौधों को बड़े-बड़े बॉक्स में टांग दिया जाता हैं और प्रत्येक बॉक्स में पौधौ को ग्रोथ के लिए पोषक तत्व और जल डाला जाता है| जिससे पौधौ की जड़ों में नमी बनी रहती है और कुछ समय के बाद फसल का उपजना शुरू हो जाता है |

एरोपोनिक्स(Aeroponic technology) एक ऐसा मेथड है, जो हाल के दिनों में लोकप्रियता बटोर रहा है। कृषि की इस आधुनिक पद्धति से किसानों और नागरिकों के लिए कई प्रॉफिट हैं। इस टेक्निक से खेती करनें का सबसे बड़ा बेनिफिट यह है, कि इसमें मिट्टी और भूमि की कमीं होनें के बावजूद फसलों का उत्पादन अच्छे मात्रा में किया जाता है ।

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एरोपोनिक तकनीक से खेती कैसे करे (Aeroponic Technology Farming)

यह प्रणाली उन सब्जियों के उत्पादन के लिए बेहतर है, जिनकी जड़ें ऑक्सीजन और नमी जैसी सर्वोत्तम स्थिति को अपना सकती हैं। इन्हें नियंत्रित तापमान (Controlled temperature) आद्रता (Humidity) की स्थिति में उगाया जा सकता है। एरोपोनिक्स तकनीकAeroponic technology के माध्यम से किसान पोषक तत्वों से परिपूर्ण फसलें प्राप्त कर सकते है | इस तकनीक से फसलों के उत्पादन में पानी के साथ-साथ पोषक तत्वों की भी बचत होती है।

(Aeroponic technology)इसपर किए गए शोध के अनुसार, पारंपरिक रूप से 2 किलो बैंगन के उत्पादन के लिए लगभग 251 से लेकर 355 लीटर पानी की आवश्यकता होती है | वहीं एरोपोनिक्स तकनीक से इस उत्पादन के लिए पानी की खपत मात्र 16 से 21 लीटर रह जाती है। इस प्रणाली से फसलों के उत्पादन के लिए उन्हें पॉलीहाउस में लगाना सबसे बेहतर  होता है |

Aeroponic टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग कॉलेज, रुड़की के कृषि विभाग की हेड डॉ दीप गुप्ता के मुताबिक, एरोपोनिक्स प्रणाली फसलों के उत्पादन में पानी की बर्बादी को खत्म कर देती है। इसके साथ ही इसमें पोषण युक्त जल की प्रत्येक बून्द का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से फसलों का उत्पादन पारम्परिक तकनीकों की तुलनामें लगभग 7 गुना अधिक उत्पादन किया जा सकता है | इसके साथ-साथ इसमें कम परिश्रम की जरुरत होती है | इस तकनीक से उत्पादित फसल पोषक तत्वों से भरी होती है |

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एरोपोनिक तकनीक में खामियां (Aeroponic Technology Flaws)

एरोपोनिक टेक्निक में सबसे बड़ी समस्या यह है, कि इसमें पौधौ की जड़ों पर पोषक तत्वों को छिड़कने के लिए विद्युत अर्थात बिजली की आवश्यकता होती है | इसके अलावा शुरूआती दौर में पूरे सेटअप की लागत पारंपरिक खेती की अपेक्षा काफी ज्यादा होती है | साथ ही इसे संचालित करने के लिए आपके पास टेक्निकल ज्ञान होना जरुरी है | लेकिन इस तकनीक में एक बार किया गया निवेश का सबसे बड़ा बेनिफिट  यह है, कि यह सेटअप लगभग 5-6 साल तक चलता है | यह मोर्डेन फार्मिंग के सबसे उन्नत संस्करणों में से अहम् है, इसके साथ ही यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह लाभकारी है |

भारत में एयरोपोनिक्स प्रणाली से खेती कहां होती है (Aeroponics System Farming in India)

भारत में एयरोपोनिक्स प्रणाली से खेती हरियाणा के करनाल में आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Technology Center) में इस टेक्निक से उच्च गुणवत्ता के आलू का उत्पादन किया जा रहा है | एरोपोनिक प्रणाली में पौधे के टिशू कोप्लास्टिक शीट (Plastic sheet) के छेद में लगाया जाता है और पौधे की जड़ एक बॉक्स में लटकी होती है | पौधे को मिट्टी की जगह सारी खुराक पोषक तत्वों के छिड़काव करके दी जाती है | जब बॉक्स में लटकी जड़ों में आलू लग जाते हैं, तो बॉक्स को खोलकर आलू को अलग कर लिया जाता है |

एयरोपोनिक्स प्रणाली से उत्पादन कितना होता है (Aeroponics System Production)

इस टेक्निक से 2 यूनिट में एक समय में बीस हजार (Twenty Thousand) आलू के पौधौ को लगाकर इनसे 9 से 10 लाखमिनी ट्यूबर्स (Mini Tubers) अर्थात बीज तैयार किए जा सकते हैं | कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तकनीक से परंपरागत खेती की अपेक्षा किसान ज्यादा लाभ कमा सकते है |

आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Potato Technology Center) के मुताबिक एरोपोनिक प्रणाली से आलू का उत्पादन बगैर पानी और मिट्टी से  किया जा रहा है | इस विधि से फसलों का उत्पादन पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 11 गुना अधिक प्राप्त किया जा सकता है | आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि हरियाणा के करनाल में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Potato Technology Center) का इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर (International Potato Center) के साथ एक एमओयू (MOU) साइन हुआ है | इसके पश्चात एरोपोनिक टेक्निक के प्रोजेक्ट को इंडिया सरकार द्वारा आज्ञा दे दी गयी है |

एरोपोनिक प्रणाली Aeroponic टेक्नोलॉजी से कौन से कौन से खेती कर सकते हैं? (What Plants Can Grow From The Aeroponic System?)

यद्यपि तकनीकी रूपAeroponic technology से किसी भी पौधे को एरोपोनिक्स का प्रयोग करके उपजाया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में इसका प्रयोग पत्तेदार साग, स्ट्रॉबेरी, खीरे, टमाटर और जड़ी-बूटियों के उत्पादन के लिए किया जा रहा है। हाइड्रोपोनिक्स पर एरोपोनिक्स सिस्टम के सबसे बड़े लाभों में से एक इस पद्धति की जड़ फसलों को भी उगाने की कैपेसिटी है। हाइड्रोपोनिक्स के लिए इस पद्धति का प्रयोग करना संभव नहीं है, जबकि ऐसी परिस्थितियों में एयरोपोनिक्स के तहत इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा रहा है।

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