मुलेठी की खेती कैसे करें:-
मुलेठी (Mulethi) या लिकोरिश (Licorice) एक औषधीय पौधा है जिसकी जड़ें चिकित्सा में इस्तेमाल होती हैं।
मुलेठी की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। बीजों को आप स्थानीय कृषि विभाग या प्रमुख बीज विक्रेताओं से प्राप्त कर सकते हैं। मुलेठी पौधों को उच्च मृदा-संचुरित, धातुशोधित और अच्छी ड्रेनेज वाली भूमि में बोएं। इसे अच्छे सूखे और रहने के लिए बेहतरीन भूमि मिलनी चाहिए।
मुलेठी की बोने जाने वाली समय में उच्च गर्मी और पानी की उपलब्धता होनी चाहिए। बोने जाने वाले महीने में अगस्त से सितंबर तक हो सकते हैं।
बीजों को धूप में सुखाकर बोने जा सकता है या इसे उबालकर भी बोना जा सकता है। बोने जाने वाले बीजों की गहराई लगभग 1 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बीजों से पौधे उत्पन्न करने के लिए इन्हें धूप में सुखाने के बाद उबाला जा सकता है और फिर अंकुरित किया जा सकता है। अंकुरित बीजों को अच्छे से धुल कर उबाला गया दूध इस्तेमाल करके किया जा सकता है।
अंकुरित होने के बाद, पौधों को खेत में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। प्रत्येक पौध के बीच की दूरी और पंक्तियों की दूरी का ध्यान रखें। पौधों को नियमित रूप से पानी दें और खेती के अनुसार उपयुक्त खाद प्रदान करें। मुलेठी की खेती-पौधों को रोगों और कीटाणुओं से बचाने के लिए नियमित रूप से पेस्टिसाइड और फंगीसाइड का उपयोग करें।
मुलेठी की पौधों को प्रुनिंग करके उन्हें बढ़ावा दें और चाहे तो हर्बल विकास के लिए उन्हें बढ़ावा दें।
ये थे कुछ आम धाराएँ जो मुलेठी की खेती के लिए अनुसरण की जा सकती हैं। मुलेठी की खेती-हालांकि, स्थानीय भूमि, जलवायु, और अन्य स्थानीय परिस्थितियों का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए स्थानीय विशेषज्ञों से सलाह लेना भी सुझावित है।
भारत में मुलेठी की खेती:-
मुलेठी की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण और आर्थिक रूप से प्राथमिक धान्य किसानों के लिए एक विकल्प हो सकती है। मुलेठी की खेती-यह जड़ीबूटी, जिसे लिकोरिश भी कहा जाता है, अधिकतर आयुर्वेदिक औषधियों और कोष्टीकर उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण है।
शुरुआत में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें, जिन्हें स्थानीय विक्रेता से प्राप्त किया जा सकता है। मुलेठी की खेती-बीजों को धूप में सुखाने के बाद उबाला जा सकता है और इन्हें खेतों में बोए जा सकता है।
मुलेठी के पौधों को उच्च ताजगी, सुगंधित और समृद्धि भरी भूमि में बोएं। यह धान्य तथा ताजगी भरी भूमि को पसंद करता है।
मुलेठी के बीजों को बोने जाने वाला समय उच्च गर्मी के मौसम में हो सकता है, जिससे उच्च पौधों का विकास हो सकता है। बोने जाने वाले महीने में जून से जुलाई तक का समय हो सकता है।
बोने जाने वाले बीजों को धूप में सुखाकर और उबालकर बुआई की जा सकती है। मुलेठी की खेती-बीजों की गहराई लगभग 1 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
पौधों को नियमित रूप से पानी दें और खेती के अनुसार उपयुक्त खाद प्रदान करें। विशेषकर अंकुरित होने के दौरान, पानी और खाद की अच्छी संबंधितता महत्वपूर्ण है।
पौधों को रोग और कीटाणु से बचाने के लिए नियमित रूप से पेस्टिसाइड और फंगीसाइड का उपयोग करें।
मुलेठी के पौधों को प्रुनिंग करके उन्हें बढ़ावा दें और हर्बल विकास के लिए उन्हें बढ़ावा दें।
मुलेठी की खेती एक धीरे-धीरे बढ़ते क्षेत्र में है, और यह किसानों को नई आय स्रोत प्रदान कर सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां इसकी मांग ज्यादा है। स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्रों से सहायता प्राप्त करना और स्थानीय शेख़वती के अनुसार खेती की जा सकती है।
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मुलेठी के फायदे (Liquorice Benefits)
- गले में होने वाली खरास, जलन, खासी और ब्रोंकाइटिस के उपचार में मुलेठी का उपयोग किया जाता है |
- मुलेठी का इस्तेमाल अस्थमा को नियंत्रित रखने में लाभकारी होता है |
- सीरम कोलेस्ट्रॉल और हेपेटिक कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए भी मुलेठी को लाभकारी माना जाता है |
- मुलेठी का सेवन मलेरिया के उपचार में भी कर सकते है |
- झड़ते हुए बालो को रोकने के लिए भी मुलेठी लाभकारी होती है |
- मुलेठी का सेवन करने से याददाश्त मजबूत होती है |
- पीलिया के उपचार में भी इसका इस्तेमाल होता रहा है |
- घातक बीमारी कैंसर में भी मुलेठी का इस्तेमाल किया जा सकता है |
मुलेठी के नुकसान (Liquorice Disadvantages)
- दो सप्ताह से अधिक समय तक मुलेठी का बड़ी मात्रा में सेवन करने से उच्च रक्तचाप, द्रव प्रतिधारण और चयापचय असमानता जैसी समस्याए हो सकती है |
- यदि आप हाई बीपी या मूत्रल से संबंधित दवाइयों का सेवन कर रहे है, तो आपको चिकित्सक से परामर्श करके ही इस जड़ी बूटी का सेवन करना होता है |
- यदि आप गुर्दे की बीमारी, मधुमेह और पोटेशियम का स्तर कम होने से परेशान है, तो आप मुलेठी का सेवन बिलकुल न करे |
- गर्भवती महिलाओ और बच्चो के लिए मुलेठी का सेवन उपयुक्त नहीं होता है |
मुलेठी की उन्नत किस्में (Liquorice Improved Varieties)
मुलेठी की उन्नत किस्में किसानों को अधिक उत्पादक और गुणवत्ता वाली फसल प्रदान करने के लिए विकसित की गई हैं। मुलेठी की खेती-ये उन्नत किस्में विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों और अन्य उद्योगों में अच्छी बाजारी देने के लिए प्रस्तुत की जाती हैं। मुलेठी की खेती-नीचे कुछ मुलेठी की उन्नत किस्में हैं:
GL-1 (Glycyrrhiza lepidota):
यह एक उच्च उत्पादक मुलेठी की किस्म है जो गुणवत्ता और अच्छी बाजारी के लिए अच्छी तरह से जानी जाती है। इसकी उच्च औषधीय गुणवत्ता के कारण इसे विशेषकर आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग के लिए चुना जाता है।
GL-2 (Glycyrrhiza glabra):
यह किस्म भी उच्च यात्रा और अच्छी गुणवत्ता की तरह जानी जाती है। इसकी उन्नतता के कारण, यह आयुर्वेदिक औषधियों के लिए मुख्य रूप से पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त कर रहा है।
MAUS-71 (Glycyrrhiza glabra):
यह किस्म विशेष रूप से उत्तर भारत में बोए जाने के लिए विकसित की गई है और इसकी उच्च उत्पादकता के कारण प्रमुख बाजार में बढ़ती हुई मांग का सामना कर रही है।
Rakshak (Glycyrrhiza glabra):
यह किस्म रोगों और कीटाणुओं से सुरक्षा के लिए विकसित की गई है और इसकी उच्च प्रतिरोधी शक्ति के कारण किसानों को बेहतर फसल की सुरक्षा का आश्वासन देती है।
Yasasvi (Glycyrrhiza glabra):
मुलेठी की खेती-इस किस्म को विशेष रूप से उच्च और गुणवत्ता वाले रूप में जाना जाता है और इसमें उच्च मात्रा में ग्लाइसाइरिज़ीन होता है, जो आयुर्वेदिक औषधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
इन उन्नत किस्मों का उपयोग अधिकतर आयुर्वेदिक औषधियों, खासकर मुलेठी से बने उत्पादों, चयनित उद्योगों, और स्वास्थ्य से संबंधित उत्पादों के लिए किया जाता है।
मुलेठी की पैदावार और लाभ (Liquorice Production and Benefits)
मुलेठी की खेती-मुलेठी के पौधों को तैयार होने में तीन वर्ष का समय लग जाता है | इसके एक हेक्टेयर के खेत से तक़रीबन 35 से 40 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है | मुलेठी का बाज़ारी भाव 135 से 185 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से चार लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते है |