ग्वार फली की खेती
(ग्वार फली की खेती)ग्वार फली एक प्रकार की वनस्पति है, जिसे हमलोग सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते है। ग्वार फली का वानस्पतिक नाम साइमोप्सिस टेट्रागोनोलोबा है। यह किसी भी मौसम में उगाये जा सकते है। आज हम इस लेख में बताएँगे, इसकी खेती किसे की जाती है? कितना मुनाफा कमा सकते है, इसे खाने से क्या फायदा होता है?
(ग्वार फली की खेती)ग्वार फली प्रत्येक मौसम में उगाये है, ठंढ के मौसम में लोग इसे आसानी से गमले में ऊगा लेते हैं, क्योंकि गमले में मिट्टी का तापमान जमीन की मिट्टी की तुलना में गर्म या ठंडा किसी भी तरह का तापमान रखा जा सकता है, जो इसके उत्पादन के लिए उपयुक्त है। क्लस्टर बीन्स को अच्छे से अंकुरित होने के लिए गर्म मिट्टी की जरुरत होती है। शरद ऋतू में बीज ठीक से अंकुरित नहीं हो पाते हैं। वसंत ऋतु या मार्च से अप्रैल ग्वार फली उगाने का उत्तम समय है।
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(ग्वार फली की खेती)ग्वार फली या क्लस्टर बीन्स का पौधा पूर्ण सूर्य के प्रकाश में बेहतर विकसित होता है। पौधे के साथ गमला या ग्रो बैग ऐसी जगह रखें, जहां ग्वार फली के पौधे को कम से कम 7 से 8 घंटे की धूप मिल सके।
(ग्वार फली की खेती)ग्वार फली का पौधा लगभग 20°C से 30°C के बीच के तापमान में तेजी से अंकुरित होता है। लेकिन यदि तापमान 41 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाए तो क्लस्टर बीन्स का पौधा मर सकता है या कम उत्पादन दे सकता है। इसके अलावा 18°C से कम तापमान पड़ने पर ग्वार फली का पौधा मुरझा सकता है या मर सकता है, इसलिए पौधे को ऐसे स्थान पर लगाएं जहां उसे जरुरत अनुसार तापमान मिल सकता है।
ग्वार फली की खेती (क्लस्टर बीन्स) के पौधे की कीटों से सुरक्षा – क्लस्टर बीन कीट और बीमारियाँ
(ग्वार फली की खेती)एफिड्स, लीफहॉपर्स और ऐश वीविल्स सबसे आम कीट हैं जोसब्जियों के पौधों को संक्रमित करते हैं। ये कीट सेम के पौधे की पत्तियों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधे की विकास रुक जाती है, और फसल का उत्पादन भी कम हो सकता है। यदि किसान भाई को इसके फल के पौधों पर छोटे कीड़े दिखाई देते हैं, तो आप इन कीटों को पौधों से दूर रखने के लिए फसलों पर नीम के तेल का छिड़काव कर सकते हैं।
ग्वार फली की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। ग्वार फली का उपयोग हरी फली (सब्जी के लिए), हरा चारा, हरी खाद और अनाज के लिए किया जाता है। ग्वार फली में प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत होने के कारण इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। इसलिए इसकी बुआई का सही समय और कुछ उन्नत किस्मों के बारे जानकारी रखना जरुरी होता है, ताकि हानि न होये।
ग्वार फली की खेती इसकी किस्मों को मुख्यतः 3 भागों में बाँटा गया है।
अनाज के लिए:- अगर आप अनाज के लिए ग्वार फली की खेती कर रहे हैं तो दुर्गापुर सफेद, मारू ग्वार, दुर्गाजय, एफएस-276, अर्ली ग्वार-111, आरजीसी-197, आरजीसी-417 और आरजीसी-986 जैसी किस्मों की खेती करें।
हरी फलियों के लिए:- यदि आप हरी फलियों के लिए ग्वार फली की खेती कर रहे हैं तो शरद बहार, पूसा सदाबहार, पूसा नवबहार, पूसा सीजनल, गोमा मंजरी, आईसी-1388, एम-83 और पी-29-1-1 आदि किस्मों की खेती करें। आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।
हरे चारे के लिए:- यदि आप ग्वार फली की खेती से हरा चारा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप ग्वार क्रांति, बुंदेल ग्वार-1, बुंदेल ग्वार-2, बुंदेल ग्वार-3, मक ग्वार, एचएफजी-118, गोरा-81 और आरआई का चयन कर सकते हैं। -2396-2 आदि किस्मों की खेती कर सकते हैं।
(ग्वार फली की खेती) ग्वार सब्जी खाने के फायदे:-
(ग्वार फली की खेती)ग्वार की सब्जी में मुख्यतः कैल्सियम, कार्बोब, फास्फोरस, फाइबर प्रोटीन आदि कई तरह के नूट्रिशियन्स पाए जाते है। इसका सेवन करने से बेहतर शारीरिक विकास होने में मदद मिलती है। वजन काम होने के साथ दियबीटीएस भी कम होती है। ऐसे में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लिए फायदेमंद माना जाता है।
- ग्वार फली में पोटेशियम तथा फोलिड जैसे कई पोषक तत्व गन होते है, इसका प्रदीन सेवन करने से ह्रदय सम्बंधित रोग दूर रहते है तथा उसे स्वच्छ बनाये रखता है।
- इसमें ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होता है इसके साथ ही द्वार फली में टैनिन तथा फ्लेबुन नीड्स कम होता है इससे डयबिटीज काम करने में सहायक होता है।
- ग्वार फली में फाइबर होने के कारन पेट लम्बे समय तक भरा रहता है और शक्ति प्रदान करते रहता है।
- यह सब्जी के स्वाद के साथ साथ सेहत के लिए भी गुणकारी होता है।
- इसके सब्जी खाने से कोलोस्ट्रोल जैसे खतरनाक बिमारियों से दूर रखता है।
- ग्वार फली का सेवन पाचन सम्बन्धी कई समस्याओं को दूर करने में होता है।
- बड़े आँतों के बिमारियों को दूर करने में सहायक होता है।
- अच्छे पाचन के लिए कारगर।
- शुगर को नियंत्रित करने में सहायक।
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