अजवाईन की खेती, 1 हेक्टे.. में कमाएl लाखों, नया(New) तरीका, जलवायु, खाध, मुनाफा

अजवाईन की खेती, 1 हेक्टे.. में कमाएl लाखों, नया(New) तरीका, जलवायु, खाध, मुनाफा

अजवाईन (Thyme) की खेती 

अजवाईन (Thyme) एक झाड़ीनुमा मसाले किस्म तथा आयुर्वेदिक औषधि है, इसे हम मसाले एवं औषधि के रूप में प्रयोग करते है | लोगों द्वारा अब इसकी खेत्ती इसकी खेती को बड़े पैमाने पर किया जाता है | यह देखने में धनियाँ की कुल प्रजाति का पौधा होता है, इसकी लम्बाई लगभग 1.2 मीटर तक होती है | अजवाईन के दानो में कई तरह के खनिज और रासायनिक तत्वों का मिश्रण उपस्थित होता है, जो मानव शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है |

(अजवाईन की खेती)इसके दानो से तेल निकालकर औषधियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है | आयुर्वेदिक चिकित्षक में इसके दानो को बारीक़ कर उपयोग में लाया जाता है | अजवाईन एक बहुत ही फायदेमंद औषधि है | आज हम आप लोगों को अजवाइन के खेती कैसे करे, किस जलवायु की जरुरत परती है, कितनी मुनाफा होती है आदि।
अजवाईन की खेती को करने का एक ही सही समय रबी की फसल के समय होता है| अजवाईन की खेती में कम बारिश की जरुरत परति है। सबसे उत्तम सर्दियों का मौसम इसके पौधों को विकास करने के लिए सर्वोत्तम मन जाता है।

(अजवाईन की खेती)इसके पौधे सर्दियों में गिरने वाले पाले को आसानी से सहन कर लेते है | मार्किट में अजवाईन का भावआसमान छू रहा है | इसलिए, आप लोग अजवाईन की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है |

अजवाईन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान (Suitable Soil Climate and Temperature)

(अजवाईन की खेती)इसकी खेती की लिए जल निकासी वाली भूमि को उपयुक्त माना जाता है | इसके अतिरिक्त यदि आप अधिक पैदावार प्राप्त करना चाहते है, तो ठण्ड के मौसम बलुई मिट्टी में इसकी खेती करना चाहिए | अधिक नमी तथा जलभराव वाली जगहों पर इसकी खेती को करना बेवकूफी है | अजवाईन की खेती में भूमि का P.H मान 6.4 से 8.1 के मध्य होना चाहिए |

(अजवाईन की खेती)इसका पौधा उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा माना जाता है | इसलिए इसके पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए नरम जलवायु की आवश्यकता होती है | किन्तु फूलो के बीजो को पकने के दौरान इसे उष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है, तथा इसके लिए बिलकुल तगड़ी धूप होनी चाहिए | महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख और समृद्धशाली राज्यों में मुख्य रूप से इसकी खेती की जाती है।

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(अजवाईन की खेती)अजवाईन के पौधों को आरम्भ में विकसित होने के लिए 21 से 26 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है | सर्दियों के मौसम में यह पौधे न्यूनतम 11 डिग्री तापमान पर अच्छे से विकास करते है | पौधों में लगे दानो को पकने के लिए 31 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है |

अजवाईन की खेती, 1 हेक्टे.. में कमाएl लाखों, नया(New) तरीका, जलवायु, खाध, मुनाफा

(अजवाईन की खेती)अजवाईन की किस्मे – Varieties Of Ajwain

(अजवाईन की खेती)आज के दौर में अजवाईन की पैदावार को बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह की किस्मे होते है | जिन्हे अलग – अलग जलवायु के हिसाब से अलग – अलग स्थानों पर उगाते है। यह सभी पककर तैयार होने के पैदावार के आधार पर की जाती है |

(अजवाईन की खेती)लाभ सलेक्शन 1 किस्म के पौधे

अजवाईन की यह किस्म कम समय में पैदावार को जायदा करने के लिए तैयार की गयी है | इस किस्म को राजस्थान और गुजरात के सभी भागो में उगाया जाता है | इसमें पौधों के दाने बीज रोपाई के लगभग 131से 141 दिन पककर तैयार हो जाते है | इसमें पौधा 1.2मीटर तक लम्बा होता है | इसका प्रति हेक्टयेर उत्पादन 9 से 10 क्विंटल के मध्य होता है|

लाभ सलेक्शन 2 किस्म के पौधे

(अजवाईन की खेती)पौधों की यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों ही भूमि में अधिक पैदावार देने के लिए उगाई जाती है | इसमें पौधे लगभग 136 दिन में पककर तैयार हो जाते है | इसमें प्रति हेक्टयेर उत्पादन 12 क्विंटल तक होता है |

(अजवाईन की खेती)अजवाइन की इस किस्म को नेशनल रिसर्च फॉर सीड स्पाइस, तबीजी, अजमेर द्वारा देरी से उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है, इसमें पौधे 2मिटेर ऊँचे होते है | इसके पौधों में प्रति हेक्टेयर में लगभग 16 क्विंटल तक का उत्पादन होता है | इसे किसी भी मिट्टी में आसानी से उपजाया जा सकता है, बीज रोपाई के लगभग 172 दिन के बाद इसके पौधे पककर तैयार हो जाते हैं |

इसके अतिरिक्त भी अजवाईन की कई किस्मे पायी जाती है जिनमे ऐ ऐ 2,आर ए 1-81,गुजरात अजवाइन 1,आर ए 20-80 जैसी किस्मे मौजूद है |

(अजवाईन की खेती)अजवाइन के खेत और पौधों की तैयारी

अजवाइन की खेती में भुरभुरी और साफ मिट्टी की आवश्यकता होती है | खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को साफ करने के लिए खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दे, जिससे सभी पुराने कचरे निकल जायेंगे | इसके बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हलों से गहरी जुताई कर खेत को 5 – 6 दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ दें, इससे मिट्टी में मौजूद सभी हानिकारक कीट सूर्य की तेज़ धूप के संपर्क में आकर ख़त्म हो जायेंगे |

(अजवाईन की खेती)जुताई के बाद खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर मिट्टी में अच्छे से हिला दिया जाता है | खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए कल्टीवेटर के माध्यम से खेत की 3 -4 तिरछी जुताई कर दें, तथा बाद में खेत में पानी चलाकर खेत का पलेव कर दें | पलेव करने के 4 दिन बाद खेत की ऊपरी मिट्टी सूखी दिखाई देने लगे तो एक बार फिर से इसकी जुताई करना होता है | उसके बाद खेत में रासायनिक खाद का उचित मात्रा में छिड़काव कर खेत में गोल फॉर चला दें | इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी होती जाती है, इसके बाद खेत में पाटा लगा कर चला दे जिससे खेत बिलकुल समान हो जायेगा |

(अजवाईन की खेती)अजवाईन की फसल को बीज और पौधे किसी भी तरीके से कर सकते है | पौधों द्वारा खेत में रोपाई के लिए पौधों को नर्सरी में डेढ़ महीने पहले ही तैयार कर लिया जाता है | जिसके लिए इन्हे क्यारियों या फिर प्रो – ट्रे में रेडी किया जाता है | इसके अतिरिक्त यदि आप खेत में बीजो की रोपाई करना चाहते है तो रोपाई से पहले बीजो को बाविस्टीन की उचित मात्रा से इलाज कर लेना चाहिए | इसके बाद इसके बीजो की खेत में बुवाई कर देना चाहिए |

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(अजवाईन की खेती)छिडकाव विधि से बीजो की रोपाई

(अजवाईन की खेती)बीज के माध्यम से रोपाई के दौरान इसके पौधों की रोपाई छिडकाव विधि का प्रयोग कर की जाती है | इस विधि से रोपाई करने में 4 -5 किलो बीजो की जरुरत होती है | बीजो को रोपाई से पहले इलाज भी किया जाता है | ताकि बीजों के अंकुरण के समय किसी भी तरह की दिक्कत का सामना ना करना पड़े |

(अजवाईन की खेती)पौधों की सिंचाई तथा उवर्रक की मात्रा (Irrigation and Fertilizers)

(अजवाईन की खेती)दोनों ही तरह की विधियों द्वारा पौधों की रोपाई हलकी गीली भूमि में होती है | रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए | सिचाई करते समय पानी के बहाव को धीमा ही रखे जिससे इसके बीजो के बहने का खतरा न हो | इसके पौधों में सिचाई की अधिक जरुरत नहीं होती है | जब पौधों का अंकुरण होने लगा हो उस दौरान जरूरत पड़ने पर ही 11 से 16 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए |

(अजवाईन की खेती)अजवाइन की फसल में जनरल उवर्रक की जरुरत होती है | उवर्रक की इस मात्रा को खेत को तैयार करते वक़्त मिलाया जाता है | इसके लिए खेत में 11 से 16 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को खेत में डालकर मिट्टी में अच्छे से हिला दिया जाता है और रासायनिक खाद के रूप में तक़रीबन 81 किलो एन.पी.के. की मात्रा को भी खेत की आखरी जुताई के समय खेत में छिड़कवा देना चाहिए | इसके अलावा पौधों के विकास के दौरान 26 किलो यूरिया खाद को पौधों पर छिड़कवा देना चाहिए |

(अजवाईन की खेती)खरपतवार पर रोक (Weed Control)

(अजवाईन की खेती)बाकि सभी फसलों की तरह ही अजवाइन के पौधों को भी खरपतवार से सुरक्षा करना जरुरी होता है | किन्तु इसके बीजों में खरपतवार पर नियंत्रण को प्राकृतिक तरीके से ही करना चाहिए | प्राकृतिक तरीके से खरपतवार पर नियंत्रण करने के लिए इसके पौधों की 26 से 31 दिन में पहली गुड़ाई कर खरपतवार को निकाल देना चाहिए | इसके अलावा समय – समय पर जब भी खेत में खरपतवार दिखाई दे तो उसकी निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए |

(अजवाईन की खेती)फसल की कटाई पैदावार और लाभ (Yield and Profit)

(अजवाईन की खेती)अजवाइन के पौधे रोपाई के लगभग 141 से 162 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | इसके पौधों में लगने वाले गुच्छे पकने के बाद उजले रंग के दिखाई देने लगते है | उस दौरान इसके पौधों की कटाई कर उन्हें खेत में एकत्रित कर अच्छे से ड्राई कर लिया जाता है | जब इसके दाने अच्छे से सूख जाये तब इन गुच्छो को लकड़ी की डंडी से पीटकर दानो को हटा देना चाहिए |

अजवाइन की किस्मो में प्रति हेक्टेयर औसतन 11 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है | अजवाइन का बाजारी भाव 13 हजार से 20 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक होता है | ऐसे खेती करने से किसान भाई एक हेक्टेयर में खेती कर 3 -4 लाख रूपये कमा सकते है।

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